अनुतोष व प्रोत्साहन राशि में वसूली का मामला, डाटा कलेक्शन से खड़े किए हाथ
रायबरेली। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की एक बैठक जिलाध्यक्ष गीता मिश्रा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में गीता मिश्रा ने कहा कि आशा वर्कर्स का चार माह से कोई मानदेय भुगतान नहीं किया गया है, कोविड प्रोत्साहन राशि का भुगतान काफी चीखने-चिल्लाने के बावजूद हुआ है, उसमे भी प्रभारी, बीसीपीएम प्रति आशा से 2000 रुपए की घूस मांग रहे हैं, न देने पर सेवा से वंचित करने के लिए धमका रहे हैं, कुछ जगहों पर अग्रिम वसूली कर ली गई है, और कुछ जगह उगाही बेखौफ होकर की जा रही है।
गीता मिश्रा ने कहाकि आश्चर्य है कि आशा कर्मियों को मिलने वाली बहुत न्यूनतम अनुतोष व प्रोत्साहन राशि में वसूली के संदर्भ में मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, एनएचएम निदेशक व डीएम से लगातार शिकायत करके इसे रोकने व स्थाई रूप से एक राज्यस्तरीय निगरानी तंत्र विकसित करने की मांग की जा रही है। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। शिवगढ़ में अग्रिम वसूली, बछरावां, जगतपुर, सलोन आदि में वसूली जारी है। गीता मिश्रा ने आगे कहा कि हर परिवार का ब्योरा एकत्र करने के काम के लिए आदेशित किया जा रहा है जिसमे उनकी पूर्व की तीन पीढिय़ों के पुरुषों के नाम और मृत्यु के विवरण तथा आय का मूल्यांकन करना है, इसके लिए अधिकारी झूठे डेटा कलेक्शन की सलाह दे रहे हैं कि यदि किसी को मृत व्यक्ति का नाम व तारीख नहीं मालूम तो आप कल्पित नाम अंकित करें, और आय का भी इसी तरह एक काल्पनिक डेटा उपलब्ध कराएं। उन्होंने ने कहा कि आय का मूल्यांकन करना राजस्व अधिकारियों का काम है और आशा वर्कर्स इस तरह के कार्य में कतई योगदान नहीं कारेंगी और साथ ही किसी के फर्जी नामांकन के किसी दुष्कृत्य में किसी के कहने से शामिल होंगी। यह डेटा मोबाइल के जरिए फीड करके देना है, जबकि सरकार ने अभी मात्र 30 प्रतिशत आशा कर्मियों को ही मोबाइल उपलब्ध कराया है, और किसी भी आशा को मिलने वाली राशि के जरिए एंड्रॉयड मोबाइल खरीदकर सरकारी कार्य करना उसकी आर्थिक क्षमता से परे है। इंटरनेट डाटा की भी कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है। उन्होंने अंत में कहा कि आशा कर्मियों से हो रही वसूली को रोकने के लिए डीएम तत्काल कदम उठाएं। अन्यथा आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। बैठक में सावित्री, कुसुम, सरिता त्रिपाठी, प्रीति, सरला श्रीवास्तव, सरला मिश्रा, राधा राजपूत आदि मौजूद रहीं।