डीएम ने संचारी रोग नियंत्रण अभियान की समीक्षा बैठक में कसे अफसरों के पेंच
रायबरेली। डीएम माला श्रीवास्तव ने सभागार में चल रहे संचारी रोग नियंत्रण अभियान के सम्बन्ध में बैठक कर जानकारी ली गई। उन्होंने कहा कि संचारी रोगों को जागरूकता व विभागीय सहभागिता से रोका जा सकता है। चल रहे अभियान के दौरान जिन बच्चों के टीके नही लगे है उन्हें सावधानी व सुरक्षा के साथ ही लगाये जाए। इसके अलावा व्यापक पैमाने पर स्वच्छता, सेनेटाइजेशन आदि की सुविधाएं बढ़ाई जाये। संचारी रोग नियंत्रण तथा दस्तक अभियान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता व जन-जन के स्वास्थ्य से जुड़ा एक कार्यक्रम है, जिसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता व लापरवाही न बरती जाए। कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुरूप कार्यवाही करें।
दिमागी बुखार, मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू आदि बीमारियों को बेहतर संविलास व उपचार की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य की ओर बढ़े। डीपीआरओ को स्वच्छ भारत मिशन के तहत किसी भी प्रकार की जानकारी न होने पर डीएम ने स्पष्टीकरण प्राप्त कराने के निर्देश दिए। डीएम ने सीडीओ सहित सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वेक्टर एक्यूटइन्सेफलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुखार एक गंभीर बीमारी है। जिसके कारण मृत्यु या अपंगता भी हो सकती है। कोई भी बुखार दिमागी बुखार हो सकता है इसलिए बुखार को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। पूर्व में जेई व एईएस आदि बीमारियों से बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। अभियान की सफलता के लिए टीम भावना से कार्य कर अभियान को सफल बनाने की कार्यवाही की जाये। मुख्य विकास अधिकारी प्रभाष कुमार ने कहा कि चलाए जा रहे अभियान के बारे में आमजन को अवगत कराए तथा अमल में लाये जाने को कहें। संचारी रोग नियंत्रण तथा दस्तक अभियान में कहा कि दिमागी बुखार को नियंत्रित करने से सबसे बड़ी समस्या इलाज में देरी है। ऐसी स्थिति में इलाज में देरी न की जाए। प्रत्येक बच्चा अनमोल है और सही जानकारी एवं सही समय पर दिया गया इलाज उनकी जान बचा सकता है। इस मौके पर सीडीओ प्रभाष कुमार, सीएमओ डॉ. वीरेन्द्र सिंह, डीपीआरओ, जिला कृषि अधिकारी, एडीआईओ इंजेश सिंह, प्रचार सहायक बड़ेलाल यादव, डीएस अस्थाना सहित सभी एमओआईसी आदि भी उपस्थित रहे।