Tuesday, January 7, 2025
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ट्रम्प का पुनर्निर्वाचन और रूस-यूक्रेन युद्ध

अमेरिका में हुए हालिया राष्ट्रपति चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी कमला हैरिस को हराकर वाइट हाउस में अपनी वापसी तय कर ली है। पिछले कुछ दिनों में अमेरिकी रुख से इस युद्ध में बदलाव के संकेत भी मिलने लगे हैं। ट्रम्प की जीत के क्या मायने है इस पर देश-दुनिया के अख़बारों ने खूब प्रतिक्रियाएं दीं हैं। इस लेख के लिए मैंने रूस और यूक्रेन ने कुछ प्रमुख अख़बारों में ट्रम्प की जीत पर छपे समाचारों का विश्लेषण किया है और साथ ही इस जीत के रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए निहितार्थ समझने की कोशिश में डॉ स्वस्ति राव (रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ) और श्री अभय सिंह (रूस के कुर्स्क से डेप्युटी, यहाँ के हिसाब से विधायक) से बात की।

रुसी अख़बारों से-

टिन्कोफ के लिए मिखाइल गोरोडिलोव लिखते हैं कि ट्रम्प ने कहा है कि वे उन उद्योगों के लिए कॉर्पोरेट कर की दर 21 से घटाकर 15 प्रतिशत कर देंगे, जिनका उत्पादन संयुक्त राज्य अमेरिका में होता है। ट्रम्प के इस कदम से अमेरिकी बजट घटा गंभीर रूप से बढ़ने का खतरा है। ट्रम्प ने चीन के उत्पादों पर आयत शुल्क साठ फीसदी करने का वायदा किया है। वर्तमान में यह बारह प्रतिशत है। अन्य देशों के आयत शुल्क को 2 % से बढ़कर 20 % किये जाने की सम्भावना है। इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। ट्रम्प ने अमेरिका में गैर क़ानूनी तरीके से रह रहे दस लाख आप्रवासियों को निकलने का आवाहन भी किया है। गोरोडिलोव के मुताबिक एक अप्रवासी को निकालने का खर्च करीव चौदह हज़ार डॉलर आता है इस हिसाब से यह बहुत महंगा कदम साबित हो सकता है।
रूस के निर्यातों में कमी आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स का हवाला देते हुए गोरोडिलोव लिखते हैं कि ट्रम्प के बड़े कदम उठाने के कारण अमेरिकी डॉलर मजबूत हो सकता है। बाज़ारों में अत्यधिक अनिश्चितता के कारण सोने की कीमतों में वृद्धि भी हो सकती है। ट्रम्प के रुख के कारण क्रीटकर्रेंसी का भविष्य उज्जवल हो सकता है। रूस पर जो बाइडेन ने गंभीर प्रतिबन्ध लगाए थे, जबकि ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को कम करने की बात कही है। देखना यह होगा कि क्या बतौर राष्ट्रपति ट्रम्प ऐसा कुछ कर पाएंगे?

रिया नोवोत्सी की रिपोर्ट काफी दिलचस्प है। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने बार-बार रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए यह कहा था कि राष्ट्रपति बनते ही वे इस युद्ध को बंद कराएँगे, क्योंकि यह अमेरिका के हित में है। रूस और यूक्रेन में लोग मर रहे हैं और ट्रम्प इसे रोकेंगे। इस प्रयास में न्यू रूस का प्रस्ताव भी शामिल किया जा सकता है। जो बाइडेन की आलोचना करते हुए ट्रम्प ने यह भी कहा था कि वे इजराइल के साथ संबंध मजबूत करने का प्रयास करेंगे, और गाज़ा और लेबनान के युद्धों को समाप्त करने भी जा रहे हैं। ट्रम्प ने वाशिंगटन द्वारा तेल अवीव और तेहरान के बीच संबंधों की स्थापना में सहयोग की बात भी कही है। ट्रम्प ने नाटो के देशों की अपनी रक्षा क्षमता पर ठीक से खर्च न करने के लिए आलोचना भी की है। ऐसा भी माना जा रहा है कि ट्रम्प अपने सहयोगियों से उक्रेन भेजे गए गोला-बारूद के लिए मुआवजे की उम्मीद भी करते हैं। कई श्रोतों का हवाला देते हुए रिया की रिपोर्ट यह निष्कर्ष निकालती है कि ट्रम्प यूक्रेन की फंडिंग को स्थानांतरित करेंगे और इजराइल और चीन के प्रति उनका रवैय्या पहले जैसे ही हो सकता है।

सर्गेई टेरेश्किन अपने लेख में इस बात पर विशेष जोर देते हैं कि ट्रम्प की जीत का रूस के लिए क्या मतलब है? उनके मुताबिक रूस पर लगे प्रतिबंधों में आंशिक ढील की उम्मीद की जा सकती है। इससे रुसी कंपनियों को अमेरिकी बाजार तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा और रूस में निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी। अमेरिकी निवेशक रुसी बाजार में दिलचस्पी बढ़ाते हुए तेल-गैस, वित्तीय सेवाओं और नई तकनीकों पर ध्यान दे सकते हैं। ऊर्जा और रसद के क्षेत्र में रूस और अमेरिका एक-दूसरे के पूरक भी बन सकते हैं। टेरेश्किन के मुताबिक यदि ट्रम्प अपने पिछले कार्यकाल की तरह ही अमेरिकी तेल और गैस उद्योग पर ध्यान लगाते हैं तो इससे रुसी निर्यातों पर असर पड़ेगा। लेकिन यदि इन मुद्दों पर ट्रम्प लचीला रुख अपनाते हैं तो रूस को फायदा मिल सकता है। रिया के रिपोर्ट की तरफ ही ट्रम्प के नाटो के रुख का विश्लेषण करते हुए टेरेश्किन लिखते हैं कि रूस को किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहते हुए अपनी रक्षा रणनीति पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा रूस और अमेरिका साइबर सुरक्षा के मसले पर साथ काम करने से फायदा पाएंगे।

कोमेरसैंट ने ट्रम्प के चुनावी कैम्पेन के दौरान दिए गए भाषणों और उस पर क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा है कि ट्रम्प के भाषण महज बतकही भी हो सकते हैं। हंगरी के विदेश मंत्री ने रिपब्लिकन पार्टी की जीत पर कहा है कि इससे यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण हल की सम्भावना बढ़ गयी है। वहीँ रुसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा है कि रूस को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वाइट हाउस में कौन है। रशियन अकेडमी ऑफ़ साइंसेज के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार अलेक्सी अरबातोव के मुताबिक ट्रम्प ने पिछले बार भी कई वायदे किये थे लेकिन वे अपने बयानों से पीछे हट गए। कोमेरसैंट के मुताबिक रूस-अमेरिका संबंधों में मौखिक रूप से सुधार आने की सम्भावना है, लेकिन वास्तविकता में ये कितने सुधरेंगे यह कह पाना मुश्किल है।

मोनोक्ले लिखता है “यूक्रेन रूसी-अमेरिकी संबंधों में विरोधाभासों के केंद्र में बिल्कुल नहीं है; यह केवल एक सामान्य संकट का लक्षण है। लेकिन दोनों देशों के लिए वास्तविक और बुनियादी समस्या शीत युद्ध की समाप्ति के बाद मॉस्को के प्रति वाशिंगटन की असंगत नीति थी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस को अपने सहयोगियों की श्रेणी में स्वीकार करने के लिए बहुत मजबूत माना, लेकिन समान शर्तों पर उसके साथ बातचीत करने के लिए बहुत कमजोर माना। परिणामस्वरूप, इस द्वंद्व के कारण बेतहाशा परिणाम सामने आए।” रूस-अमेरिका संबंधों, अमेरिका-यूरोप संबंधों और कीव की स्थिति का एक गंभीर विश्लेषण करते हुए मोनोक्ले लिखता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प यूक्रेन में शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने दृष्टिकोण को सावधानीपूर्वक छिपाते हैं, लेकिन इसलिए नहीं कि कोई योजना अभी तक मौजूद नहीं है, बल्कि इसके विपरीत, क्योंकि यह मौजूद है, लेकिन पश्चिम में कई लोग स्पष्ट रूप से इसे पसंद नहीं करेंगे।

रेगनम के लिए डेनिस डेविडोव लिखते हैं कि कुछ विशेषज्ञ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच एक गैर-सामंजस्य की बात करते हैं, वहीँ चीन के प्रति ट्रम्प के रवैय्ये को लेकर भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आयीं हैं। रूस-यूक्रेन मामले पर रेगनम लिखते हैं कि यूक्रेनियन अपने देश या अपने भाग्य को नियंत्रित नहीं करते हैं। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प वास्तव में क्या करते हैं, वह इसे कीव शासन से परामर्श किए बिना करेंगे।

यूक्रेनिया के लिए रोस्टिस्लाव इशचेंको लिखते हैं कि “मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि पहले से घोषित नियुक्तियों से जो एकमात्र निष्कर्ष निकाला जा सकता है, वह यह है कि पूरी टीम ऐसे लोगों से बनी है जो दुनिया को अमेरिकी आधिपत्य के चश्मे से देखते हैं और किसी भी कीमत पर इसका कठोरता से बचाव करने का इरादा रखते हैं। मतलब जरूरी है, जिन लोगों ने अमेरिकियों से इसे बिडेन से बेहतर करने का वादा किया था , और अपना वादा निभाने का इरादा रखते हैं। ”

ग्लोबल अफेयर्स के लिए रूस की नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फेडर लुक्यानोव अपने कॉलम में लिखते हैं: “ट्रंप जब यूक्रेन और गाजा में रक्तपात रोकने की जरूरत की बात करते हैं तो वह झूठ नहीं बोल रहे होते हैं।” यूक्रेन संकट एक ऐसी स्थिति में पहुँच चूका है जिससे निपटने के लिए रूस को भी उत्तेजना में नहीं बल्कि सोच विचार कर काम करना होगा। यह संभव है कि रूस के लिए ट्रम्प के आने से नए रास्ते खुल जाएं।

यूक्रेनी अख़बारों से –

करीना बोंडारेंको टीएसएन के लिए लिखती हैं कि ऐसे सम्भावना है कि अमेरिका रूस पर प्रतिबंधों का दबाव बढ़ाएगा या जरुरी हथियार उपलब्ध कराएगा । यह भी संभव है कि यूक्रेन को कुछ ऋण प्राप्त हो सकते हैं। यह सब इस बात से निर्धारित होगा कि घटनाएं कैसे विकसित होती हैं।

न्यूज़ यूरोप ने एलोना हेटमनचुक की इंटरव्यू छापा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि “ट्रंप की जीत का मतलब बाइडेन प्रशासन द्वारा लागू की गई डोज्ड सपोर्ट की नीति को वापस लेने का मौका है। यह नीति न केवल अस्थायी रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त करने की यूक्रेन की क्षमता के दृष्टिकोण से, बल्कि वर्तमान स्थिति की रक्षा के दृष्टिकोण से भी समाप्त हो गई है। ऐसी स्थिति में, यूक्रेन को विशेष रूप से यूरोपीय देशों के करीब आने की जरूरत है, ताकि “दृढ़ संकल्पों का गठबंधन” बनाया जा सके। ये वे देश हैं जो समझते हैं कि यूरोपीय सुरक्षा संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव के परिणामों पर निर्भर नहीं रह सकती है और यूक्रेन में अपने सैन्य घटकों को भेजने के बिंदु तक और अधिक निर्णायक कदम उठाने के लिए तैयार हैं।” साथ ही यह भी “डोनाल्ड ट्रम्प युद्ध को रोकने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इसे समाप्त नहीं कर सकते। भावी राष्ट्रपति क्या कर पाएंगे यदि वह तनाव बढ़ने के डर से अपने कार्यों में पंगु नहीं हैं और विशिष्ट राजनीतिक निर्णयों की मदद से पुतिन को यह प्रदर्शित करने के लिए तैयार हैं कि उनके लिए युद्ध जारी रखने का मतलब अंत नहीं होगा स्वतंत्र यूक्रेन, लेकिन उसके अपने शासन का अंत।”

अनास्तासिया मोसोरको ने लाइव प्रवादा के लिए यूक्रेनी सोशल मीडिया का विश्लेषण किया हैं। सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ता ट्रम्प की जीत के 24 घंटों के भीतर यूक्रेन में युद्ध रोकने के वादे की अपील कर रहे हैं। काफी बड़ी संख्या में यूक्रेनियों द्वारा ट्रम्प के चयन पर असंतोष जताया गया है। बहुत से उपयोगकर्ता ट्रम्प कि जीत पर व्यंग्य और मीम्स के सहारे में अपनी रख रहे हैं।

पीआईके ने यूक्रेनी प्रधानमंत्री डेनिस श्मिहाल और ज़ेलेन्स्की के वक्तव्यों को प्रकाशित किया है। श्मिहाल ने ट्रम्प की जीत से यूक्रेन की उम्मीदों का नाम दिया। विशेष रूप से, उन्होंने कहा कि हमारा राज्य रणनीतिक साझेदारी के मजबूत होने और न्यायपूर्ण शांति के आने पर भरोसा कर रहा है, पीआईके लिखता है।

डायना मोगिलेविच ने unian में मैक्स मॉल्फर गॉर्डिव- एक टैरो रीडर- से बात के सारांश लिखे हैं। गॉर्डिव का कहना है कि मेरा दृष्टिकोण बताता है कि इस समय यूक्रेन का भाग्य उन वैश्विक ताकतों के साथ जुड़ा हुआ है जो राजनीति से परे हैं। यूक्रेन को अपनी आंतरिक शक्ति और ज्ञान को संरक्षित करते हुए, स्वतंत्रता की एक तरह की परीक्षा से गुजरना होगा।

प्रीमियम ने अपने विश्लेषण में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावों में जीत से यूक्रेन को सैन्य सहायता कम होने और कीव को “शांति समझौता” करने के लिए प्रेरित करने की संभावना है, जिसमें संभवतः क्षेत्रीय रियायतें शामिल होंगी, जो रूस के लिए फायदेमंद होगी। एक यूक्रेनी अधिकारी के बयान छापते हुए प्रीमियम लिखता है: “लेकिन समय के साथ, वह देखेंगे कि पुतिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। पुतिन ट्रंप और उनकी योजनाओं से नाराज हैं. तभी हम ट्रम्प से कुछ लाभ देखना शुरू करेंगे। वह नहीं चाहेंगे कि पुतिन उनके साथ खेलें।’

रक्षा, सामरिक और विदेशी मामलों की जानकार डॉ स्वस्ति राव का कहना है कि ट्रम्प के आने से रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की पोजीशन में बहुत ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है। यह भी सम्भव है कि थोड़े समय के लिए ट्रम्प रूस पर प्रतिबन्ध और भी बढ़ा दें।

Dr. Swasti Rao
Abhay Singh (on the left) during his recent India visit

वहीँ रूस के कुर्स्क से डेप्युटी (यहाँ के हिसाब से विधायक) श्री अभय सिंह का कहना है कि ट्रम्प का रूस के साथ पहले से ही तारतम्य रहा है। ट्रम्प के आने से न्यू रूसिया का एलोन मस्क वाला फार्मूला काम कर सकता है। हो सकता है कि ट्रम्प पहले रूस के प्रति कड़ा रुख अख्तियार करें लेकिन धीरे-धीरे वह इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास करेंगे।

बहरहाल, रुसी और यूक्रेनियन मीडिया के विश्लेषण और दो जानकारों की बात से यह तो तय लगता है कि रूस-यूक्रेन विवाद के प्रति अमेरिका का रुख बदलेगा, लेकिन ट्रम्प इस युद्ध में क्या भूमिका निभा पाएंगे यह उनकी अमेरिका के लिए प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा।

 

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