Tuesday, December 24, 2024
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भारत और सोवियत संघ दोनों जगह छाये रहे राज कपूर

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी कुछ दिनों पहले राज कपूर की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कपूर परिवार से मुलाकात की। राज कपूर का भारतीय सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान रहा है। मुंबई के चेम्बूर और गोवंडी इलाकों में बने आर के स्टूडियो और कपूर परिवार के पुश्तैनी घरों के पास टहलते हुए राज कपूर और उनके परिवार से जुडी बहुत सी बातों को महसूस किया जा सकता है। हलाकि, अब कपूर खानदान एक अलग स्तर पर है। राज कपूर केवल भारत तक सीमित नहीं रहे , उनकी फिल्मों, फिल्म के संगीत-गायन, और सोवियत संघ के कलाकारों को अपनी फिल्मों में लेने के कारण उनकी ख्याति रूस और आसपास के क्षेत्र में काफी दूर तक फैली। सन 2017 में मेरी पहली मॉस्को यात्रा के दौरान मिले टैक्सी ड्राइवर, जो कि किर्गिजस्तान का था, ने मुझे ‘मेरा जूता है जापानी’ गाकर सुनाया था।

आज अपने रुसी सहपाठी येवगेनी इवानोव से बातचीत के दौरान जब राज कपूर की बात आयी, तो हमने मिलकर यह लेख लिखा।

14 दिसंबर को राज कपूर की 100वीं जयंती मनाई गई। भारतीय अभिनेता राज कपूर सोवियत संघ में अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हो गए थे। रूसी मीडिया ने इस तिथि को कवर किया। प्रमुख रूसी टीवी चैनलों और समाचार वेबसाइटों ने राज कपूर पर अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने सोवियत दर्शकों के आदर्श के बारे में गर्मजोशी और प्यार से बात की।

कपूर के साथ पहली फिल्म ‘आवारा’ 1954 में सोवियत बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई थी। यह तुरंत एक कल्ट फिल्म बन गई। इसे 60 मिलियन से अधिक सोवियत दर्शकों ने देखा – सोवियत संघ में हर तीसरा व्यक्ति, जिसमें शिशु भी शामिल थे।

इस फिल्म के साथ यूएसएसआर /सोवियत संघ में कपूर-मेनिया की शुरुआत हुई। सोवियत लोगों को सुपरस्टार के बारे में पता चलने से पहले ही वह सुपरस्टार बन गए। फिल्म विद्वानों के अनुसार, रहस्य यह है कि कपूर ने अपनी फिल्मों में उन आम लोगों की दुर्दशा के बारे में बताया जिन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। कपूर की फिल्मों का यह मूड सोवियत लोगों के दिलों में गूंज उठा।

कपूर की एक और फिल्म ‘बॉबी’ ने भी 60 मिलियन दर्शकों का आंकड़ा पार किया। ये दोनों फ़िल्में दर्शकों की संख्या के मामले में शीर्ष 10 विदेशी फ़िल्मों में शामिल हैं।

राज कपूर कई मौकों पर सोवियत संघ गए। हर बार उनका स्वागत उत्साही प्रशंसकों की भीड़ ने किया। उन्हें सोवियत लोगों से भी प्यार था। यूएसएसआर और रूस के प्रति यह सहानुभूति कपूर के बड़े परिवार में बनी हुई है। शायद हम रूसी सिनेमा स्क्रीन पर अभिनय राजवंश की नई पीढ़ी के नए प्रतिनिधियों वाली फ़िल्में देखेंगे।

फिल्म आवारा में राज कपूर ने छोटी पतलून पहनी थी, जिसके बाद कुछ पुरुषों ने इस शैली को अपना लिया। ऐसी पतलून पहनने वाले पुरुषों को ‘कपूर’ कहा जाता था।

जब जवाहरलाल नेहरू यूएसएसआर में थे, तो उन्होंने हर जगह फिल्म ‘आवारा’ का गाना सुना। जब वे भारत लौटे तो उन्होंने राज कपूर के पिता से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनका बेटा सोवियत संघ में उनसे ज़्यादा मशहूर है।

2014 में मॉस्को में राज कपूर की स्मृति में आयोजित एक शाम में, रूस में भारतीय दूतावास में संस्कृति और सूचना के सलाहकार श्री राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि राज कपूर अपने भावी जीवन में संभवतः रूसी पैदा होंगे।

एक ऐतिहासिक किस्सा यह भी है कि नेहरू ने ख्रुश्चेव से कहा था, ‘कपूर ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो मुझसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं।’

सोवियत संघ में लोग कपूर समेत कई मशहूर लोगों के बारे में छोटे-छोटे चुटकुले और गीत लिखा करते थे। उनमें से एक में कहा गया है कि बूढ़ी औरतें भी फिल्म ‘आवारा’ का एक गाना गाती हैं, जो हास्यास्पद लगता है।

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