रायबरेली, 13 जनवरी। रायबरेली में खून के कालाबाज़ारी की बातें निकल कर आ रही हैं। जिला अस्पताल के आसपास मिले मरीजों और तीमारदारों से पिछले करीब तीन महीने से हुई बातचीत में पता चला है कि प्रति यूनिट खून की कीमत पांच से सात हज़ार रुपए तक है। हरचंदपुर के एक गाँव से आये एक युवा ने बताया कि उसे उसके पिताजी के लिए खून की जरूरत थी। जब उसने अस्पताल में पता किया तो पहले तो उसे इधर-उधर भेजा जाता रहा, फिर उससे कहा गया कि खून तो मिल जायेगा लेकिन एक यूनिट कर सात हज़ार रुपए देना पड़ेगा। इसी तरह अस्पताल के कुछ कर्मचारियों और उनके मिलने वालों ने प्रति यूनिट खून की कीमत पांच हज़ार रुपए बताई। उनके बताने का अंदाज़ ऐसा था मानो यह सामान्य बात है। प्रक्रिया और नियमों के मुताबिक जब किसी को खून की जरूरत होती है तो ब्लडबैंक वाले मरीज के किसी तीमारदार से उतनी मात्रा में खून ले लेते हैं जितने की मरीज को जरूरत होती है। इसके बदले मरीज को ब्लडबैंक से उसी मात्रा में उसके ब्लडग्रूप के हिसाब से खून दे दिया जाता है। खून की सरकारी कीमतें प्रति यूनिट अधिकतम दो हज़ार रुपए तक हैं। दिल्ली में भी सरकारी कीमतें लगभग इसी के आसपास हैं, लेकिन जब किसी को खून को जरूरत तुरंत हो और उसे यह बताया जाय कि उक्त ग्रुप का खून अभी उपलब्ध नहीं है और कहीं और से मंगवाना पड़ेगा या कहीं से किसी तरह अर्रेंज करना पड़ेगा तो बीमार व्यक्ति के परिजन पैसे की परवाह न करके कैसे भी खून पाने के लिए रिरियाते हैं, क्योंकि उनके लिए अपने सम्बन्धी का स्वास्थ्य पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। जब डिमांड साइड बेचैन हो तो कमोडिटी का दाम मार्किट तय करता है, इसी से चीजों का दाम बढ़ता या घटता है। यही सिद्धांत खून के बाजार पर भी लागु होता है। एम्स रायबरेली के पीआरओ श्री नीरज श्रीवास्तव के मुताबिक एम्स में खून के बदले खून देने का नियम है। यदि किसी को इमरजेंसी में जरूरत होती है तो उसे पहले खून दे दिया जाता है, बाद में उससे लिया जाता है। एम्स में सरकारी रेट के हिसाब से ही मूल्य चुकाने की बात भी उन्होंने कही। जिला अस्पताल से इस सम्बन्ध में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया खबर लिखे जाने तक नहीं मिल पायी है।