दिल्ली और आसपास में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि वहाँ स्कूलों को ऑनलाइन मोड पर ला दिया गया है। ट्रकों के आवागमन पर नियंत्रण किया जा रहा है और सम्भव है कि कुछ और कड़े फैसले भी लिये जायें। लेकिन रायबरेली में इसको लेकर अभी तक प्रशासन या राजनेता या चिंतकों की तरफ से कोई वक्तव्य नहीं आया है। हालांकि प्रदूषण का मुद्दा समाज से जुड़ा होने के कारण इसे केवल प्रशासन या नेतानगरी के भरोसे छोड़ा नहीं जा सकता। यह आदतों से संबंधित मसला है, इसलिए प्रशासन और राजनीतिक लोग इस पर नियम बना सकते हैं, जनता की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है। इन सबके बीच यह सवाल उठता है कि क्या हम लोग भी स्थितियों के एकदम भयावह हो जाने की राह देख रहे हैं?