Monday, December 23, 2024
Homeई-पेपरशहर को और उद्द्यानों/पार्कों की जरूरत

शहर को और उद्द्यानों/पार्कों की जरूरत

रायबरेली, 4 नवंबर। एक समय था जब शहर में कहीं घूमने जाना हो तो लोग इंदिरा उद्यान जाते थे। धीरे-धीरे इंदिरा उद्यान की हालत ख़राब होती गयी और अब वहाँ कोई जाना नहीं चाहता। कुछ मोहल्लों में छोटे पार्क भी बने हैं, लेकिन उनकी क्या स्थिति है वह किसी से छुपी नहीं है। कुछेक को छोड़कर ज्यादातर बेकार पड़े हैं, और रखरखाव के अभाव में दुर्दशा झेल रहे हैं। नए बसे मोहल्लों में भी स्थितियां ऐसी ही हैं। ज्यादातर जगह ऐसे कोई सामुदायिक पार्क है ही नहीं। समाज में इस बात को सामान्य मान लिया गया है कि आय के श्रोत बढ़ें, घर में वाहन बढ़ें, सुविधाएं बढ़ें, बाकी सब ठीक है। कभी घूमना हुआ तो लखनऊ या किसी हिल स्टेशन या किसी धार्मिक स्थल पर चले जाना पर्याप्त है। अपनी समृद्धि पर ध्यान देना गलत नहीं है। क्षमता के मुताबिक कहीं भ्रमण पर जाना भी गलत नहीं। समस्या अपने आसपास के वातावरण में हो सकने वाली ऐसी व्यवस्थाओं के अभाव को स्वीकार करने की है। पिछले कुछ महीनों की बातचीत में लोगों ने इस पर अपनी राय रखी जिसका मिलाजुला सार यही है कि ऐसे सामुदायिक उद्यानों/पार्कों के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी मुख्य रूप से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की है। बड़े उद्द्यानों में टिकटिंग पर ज्यादातर लोगों को आपत्ति तब तक नहीं है जब तक उनका रखरखाव होता रहे और वे सुरक्षित रहें। इसके अलावा जितने भी पार्क बने हुए हैं उनको मेंटेन किया जाय।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!