Tuesday, December 24, 2024
Homeयू.पी. लाइवनहीं होती जनसुनवाई: एक बानगी

नहीं होती जनसुनवाई: एक बानगी

सरकारी विभागों के कर्मचारियों के रवैय्ये और आदतों पर जनता के बीच चर्चा करने में कई बातें सामने आती हैं। विभागों के जो कर्मचारी-अधिकारी जनता से सीधे डील करते हैं, उनमें से बहुतों का व्यवहार कठोर या नकारात्मक होता है। आज के युग में सरकारी नौकरी एक लक्ज़री है, जो आती भी देर से है और जाती भी देर से है। हर संस्था का एक वर्क-कल्चर होता है। भारतीय समाज में सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों का एक बड़ा तबका इस लक्ज़री को अपनी पैतृक सम्पदा मानता है और एक ऐसे तौर-तरीके को सही समझ लेता है जिसका वह खुद सामना नहीं करना चाहता। इस बात की पुष्टि कुछ सेवा-निवृत्त लोगों से की जा सकती है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की एक और विशेषता यह है कि वे ज्यादा सवाल-जवाब करने वाले लोगों के प्रति दंडात्मक रवैय्ये को अपना अधिकार मान लेते हैं- इसके उदाहरण लगभग हर विभाग में मिल जायेंगे। काम टालना, काम समय पर न करना, फाइलों का न मिलना उस सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं जो भ्रष्टाचार को बरक़रार रखते हैं। सूचना के अधिकार कानून के बाद डिजिटलाइजेशन और जनसुनवाई ऐप लेन के पीछे की मंशा (इंटेंट ) तब फीकी पड़ जाती है, जब जानकारी लेने वाले व्यक्ति को किसी पेंच में फंसाने या उसका काम न करने का प्रक्रम चल निकलता है। यहाँ यह ध्यान रखने वाली बात है सामाजिक विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और मेन्टेन वाले कामों में स्थानीय नेताओं / कुछ जनप्रधिनिधियों की भी भूमिका होती है, तो उन कामों को प्राथमिकता दी जाती है जहाँ ऐसे नेताओं/चुनिंदा जनप्रतिनिधियों के हित जुड़े हैं। इसे कहीं से न गलत माना जाता है, और न ही कहा जाता है। यहाँ तक कि सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी स्वयं ही यह सलाह देते मिल जाते हैं कि फलाने से मिल लो तुम्हारा काम हो जायेगा।

इस बैकग्राउंड के साथ जनसुनवाई ऐप पर दी गयी शिकायतों पर नगरपालिका की कार्यशैली समझते हैं। 27 मई 2022 को शहर के एक मोहल्ले की सड़क और नाली की मरम्मत की शिकायत पर लगाई गई एक रिपोर्ट में यह लिखा गया कि “अवर अभियंता द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया गया। प्रकरण में व्यय-भार निहित है, शासन से धन उपलब्ध होने के उपरांत कार्य कराया जाना संभव होगा। ” इसी सड़क की मरम्मत और और सीवर चैम्बर ठीक कराने के प्रार्थनापत्र के जवाब में 22 अक्टूबर 2022 को लगाई गयी रिपोर्ट में कहा गया कि ” उक्त कार्य शीघ्र ही करा दिया जायेगा।” सड़क की मरम्मत नहीं की गयी केवल एक सीवर का चैम्बर ठीक गया। नाली की मरम्मत के लिए भेजे गए एक अन्य शिकायती पत्र के जवाब में लिखा गया “नाली बनवाये जाने में व्यय भार निहित है, धन की उपलब्धता के उपरांत नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। ” दिनांक 13 मार्च 2023 की रिपोर्ट में भी इसी अंदाज़ में लिखा गया कि धन की उपलब्धता होने पर कार्य कराया जाना संभव होगा। यही बात 1 जून 2023 और 20 जून 2023 की रिपोर्टों में लिखी गयी, लेकिन अभी तक न तो सड़क की मरम्मत हुई है और न ही नालियों की।

क्या रायबरेली नगरपालिका वाक़ई पैसे की किल्लत से जूझ रही है ? गौर करने वाली बात यह है कि इन रिपोर्टों के बीच नगरपालिका के अधिकारी-कर्मचारी और अध्यक्ष तक बदल चुके हैं। भाजपा के कांग्रेस तक का सफर तय कर चुकी नगरपालिका की यह कार्यशैली क्या सन्देश देती है यह तो वहाँ के जिम्मेदार ही बता सकते हैं।

जनसुनवाई और जनता से जुड़े ऐसे मुद्दों पर आगे भी ऐसी ही रिपोर्ट्स आती रहेंगीं।

 

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!