तिबलिसी, २ दिसंबर। रविवार को लगातार चौथी रात जॉर्जिया की राजधानी में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। यूरोपीय संघ में शामिल होने पर वार्ता को निलंबित करने के सरकार के फैसले के विरोध में वहाँ धरना- प्रदर्शन शुरू हो गया है । हाल में चुनाव जीती जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी और विरोधियों के बीच महीनों से तनाव बढ़ रहा है, जो पार्टी पर लगातार बढ़ती तानाशाही, पश्चिम विरोधी और रूस समर्थक नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हैं। गुरुवार की घोषणा के बाद से स्थितियाँ बदल गयी गयीं हैं क्योंकि सरकार चार साल के लिए यूरोपीय संघ की वार्ता को रोक देगी ।
इस मुद्दे पर मॉस्को की नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी में अध्यापक और इस मामले के जानकर येवगेनी इवानोव का कहना है
“पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली (जेल में) के समर्थकों और यूरोपीय संघ तथा अमेरिका द्वारा वित्तपोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित विपक्ष संसदीय चुनावों के परिणामों को मान्यता देने से इनकार करता है। उन्हें फंडिंग खोने का डर है क्योंकि जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी ने विदेशों से धन प्राप्त करने वाले संगठनों की गतिविधियों को प्रतिबंधित करने वाला कानून पारित किया है। देश के राष्ट्रपति सैलोम जुराबिश्विली ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। हालांकि, उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। वह अपना पद छोड़ने से इनकार करती हैं क्योंकि वह नई संसद को वैध नहीं मानती हैं। नए राष्ट्रपति का चुनाव संसद द्वारा किया जाना चाहिए, क्योंकि जॉर्जिया एक संसदीय गणराज्य है। जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी राष्ट्रपति के रूप में एक ऐसे उम्मीदवार को चुनने की योजना बना रही है जिसके साथ उनके पास जुराबिश्विली जैसे विरोधाभास न हों।”
“यहाँ यह ध्यान रखने वाली बात है कि पश्चिमी देश जॉर्जिया में प्रदर्शनकारियों को संगठित कर रहे हैं, जिससे रूस के पड़ोस में एक और फ्लैशपॉइंट बन रहा है। चुनावों के बाद पहले दिनों के दौरान, जॉर्जियाई विपक्ष भ्रमित और निष्क्रिय था, लेकिन अब प्रदर्शनकारी अन्य रंग क्रांतियों के समान परिदृश्य में कार्य कर रहे हैं। इससे संकेत मिलता है कि जॉर्जियाई विरोध को पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है, जो नई जॉर्जियाई सरकार के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की भी योजना बना रहे हैं, जिसने यूरोपीय एकीकरण के मुद्दे को 2028 तक स्थगित कर दिया है।”