Tuesday, January 7, 2025
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लड़कियों के क्रिकेट टूर्नामेंट के माध्यम से लिंग-भेद खत्म करने का प्रयास

लखीमपुर खीरी जिले के बेहजम में एम ट्रस्ट ने चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) संस्था की मदद से लड़कियों के एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया। क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेलों को हमारे यहाँ की मानसिकता लड़कों तक सीमित कर देती है। खेलकूद बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।

पढाई के साथ-साथ खेलकूद और बाहर किये जाने वाले व्यायाम व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत जरुरी बताये गए हैं। रिसर्च बताते हैं कि खेलकूद कई तरह से बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। बाहर खेले जाने वाले खेलों में सतर्कता और सजगता की जरूरत होती है। जिससे बच्चों की मोटरस्कील्स (शारीरिक मूवमेंट्स और चलने-फिरने में दिमाग का प्रयोग) और सतर्कता बढ़ती है। दिन भर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या किताबों में बिताने की जगह बाहर खेलकूद में कुछ समय बिताने पर शारीरिक मजबूती के साथ अतिरिक्त चर्बी, जो असमय मोटापे का कारण बनती है, भी कम हो जाती है। बाहर खेलने से शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होती है, और हड्डियां मजबूत होती हैं। खेलकूद के दौरान नए लोगों से परिचय और उनके साथ तारतम्य बैठना पड़ता है जो कि बच्चों का समाज से एक परिचय कराने वाला होता है। खेलकूद के दौरान किसी को चोट लग जाए तो टीम के सदस्य उसकी मदद करते हैं, इससे एक-दूसरे के प्रति दयालुता और सहानुभूति जैसी भावनाओं का विकास होता है। कम उम्र से ही अलग-अलग परिवारों के बच्चों के साथ खेलने से बच्चों के मन से भेदभाव की भावना भी कम होती है, क्योंकि मैदान में वे सभी साथी होते हैं और खेलकूद में एक-दूसरे के विरोध या साथ से खेलते हैं। खेल आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं। खेलकूद जहाँ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं वहीँ मानसिक स्वास्थ्य पर भी उनका सकारात्मक असर पड़ता है। गाँव-जवार के परिवेश में अभी भी भारत के कई हिस्सों में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग तरीकों से पालने पोसने की प्रथाएं हैं। बच्चियों को खेलकूद से दूर घर के कामों में लगाए रखना एक स्वाभाविक प्रक्रिया माना जाता है। ऐसे में, एम ट्रस्ट का इस तरह का प्रयास निश्चय ही ध्यान देने योग्य है।

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