दीपावली की अगली सुबह यानी 1 नवंबर को बिबेक देबरॉय की मृत्यु हो गयी। वह प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC ) में बतौर अध्यक्ष कार्यरत थे। देबरॉय एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और इंडोलॉजिस्ट के रूप में जाने जाते हैं। उनके कॉलम कई अख़बारों में नियमित रूप से छपते थे। देबरॉय ने अपने अंतिम कॉलम को बीमारी की हालत में लिखा था और उसमें उन्होंने एक तरह से अपनी मृत्यु का ही जिक्र किया था।
मेरी मुलाक़ात बिबेक देबरॉय से सन 2011 में नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में UNDP के ओस्लो गवर्नेंस फोरम के दौरान हुई थी। मैं पढाई के साथ छात्रसंघ का एक हिस्सा था और इस कार्यक्रम में बतौर सहयोगी काम कर रहा था। वोक्सेनासेन सेंटर के बाहर श्री देबरॉय खड़े थे। अक्टूबर की सर्दियाँ थी। मैं जॉन के कैमरे से दुनियाभर से आये अतिथियों – जिनमें भारत की अरुणा रॉय, जगदानंद, डॉ राजेश टंडन जैसी शख्शियतें शामिल थीं- के फोटो ले रहा था। देबरॉय ने मुझसे पूछा “आशीष यहाँ फिट रहने के लिए क्या करते हो?” मेरा जवाब था: “मैं सुबह अप-हिल दौड़ने जाता हूँ। ” उन्होंने मुझे सलाह दी कि अप-हिल दौड़ना अच्छा है, लेकिन अगर सख्त सतह पर लगातार दौड़ोगे तो उम्र के साथ जोड़ों में तकलीफ हो जाएगी।
इसके बाद हम दोनों अंदर चले गए, सेशंस शुरू हो रहे थे। फोटो मेरी खुद की खींची हुई है।
किसी को उसकी अच्छी बातों और सही सलाह के लिए याद रखे जाना जरुरी है।