एम्स रायबरेली ने आज एक प्रेससवार्ता की थी। काफी लम्बे समय बाद हुई प्रेसवार्ता में जनपद के लगभग सभी मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकार और स्ट्रिंगर्स शामिल हुए। एम्स के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखते हुए एम्स की रैंकिंग में सुधार और बढ़ती रिसर्च फंडिंग जैसे विषयों का उल्लेख किया। इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक एम्स रायबरेली को 2022, 2023 और 2024 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया था। माई करियर माय फ्यूचर वेबसाइट के टॉप 100 MBBS कॉलेजों की लिस्ट में एम्स रायबरेली का स्थान 45वां है।
यह एक तथ्य है कि एम्स रायबरेली फ़िलहाल शैशव काल में है। यहाँ अभी बहुत कुछ होना-बनना बाकी है, लेकिन कुछ बेसिक चीजें हैं, जिनके लिए कोई बहुत बड़ी योजना या नए प्रपोजल लिखने की जरूरत नहीं है। मसलन, मुख्य इमारत के शौचालयों में कोई साबुन/हैंडवाश नहीं है। अस्पताल के शौचालयों में यदि हाथ साफ़ करने के लिए केवल पानी का इस्तेमाल किया जाय तो यह एक विडंबना की स्थिति पैदा करता है। कारण है कि मल-मूत्र विसर्जन के बाद हाथ साफ़ करने के लिए भारत की अलग-अलग सरकारों द्वारा लम्बे समय से (और तक) सोशल मार्केटिंग/विज्ञापनों से प्रचार किया जाता रहा है। आज शौचालयों में साबुन/हैंडवाश की अनुपलब्धता के सवाल के जवाब में एम्स, रायबरेली के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ ) अरविन्द राजवंशी ने कहा कि लोगों की आदत ख़राब है, “लोग साबुन/हैंडवाश चुरा ले जाते है। ”
आइये जरा कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं। एक हैंडवाश डिस्पेंशर की कीमत 70 रूपए से लेकर 1800 रूपए तक है। बड़ी मात्रा में खरीदने पर इन कीमतों में उतार-चढ़ाव सम्भव है। वहीँ पांच लीटर के हैंडवाश की कीमत 320 रूपए के शुरू होकर 800 रूपए तक है। खबर लिखने तक यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि अब तक कितना बजट इस पर आवंटित हुआ है और कितने साबुन/हैंडवाश चोरी हो चुके हैं। इसलिए लेखक लोगों से अपील करता है कि अगर वे एम्स के शौचालयों में हैंडवाश या साबुन उपलब्ध पाते हैं तो कृपया उनका प्रयोग वहीँ करें, घर न ले जाएँ। इसके कई कारण है जिनमें दो प्रमुख हैं – तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित लोगों के द्वारा प्रयोग किये जाने वस्तु का घर पर प्रयोग बहुत सुरक्षित नहीं है , और दूसरा यह कि शौचालयों के बाहर के पूरे क्षेत्र में CCTV कैमरे लगे हुए हैं। वहीँ एम्स प्रशासन ऐसी आवश्यक चीजों की अनुपलब्धता पर बेतुके तर्क देने की जगह सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान दे, क्योंकि पत्रकार, जनता और प्रशासन स्वयं एम्स रायबरेली को सुविधाजनक, अफ्फोर्डबल (खर्च वहन करने योग्य) और अक्सेसबल (सुलभ) देखना चाहते हैं ।