डलमऊ (रायबरेली)। कस्बे में कई गांव में दिन में हुई तो कस्बे में 11वीं मुहर्रम की सुबह के समय ताजिया को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इमाम हुसैन की शहादत व जंग-ए-कर्बला की याद में दसवीं मुहर्रम का जुलूस अकीदत के साथ निकला। करीब दो दर्जन मुकामी व मेहमान अंजुमनों ने मातम व सीनाजनी की। जुलूस को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी सतर्क रहा। तहसील क्षेत्र के कई गांव समेत कस्बे में मुहर्रम की दसवीं तारीख पर जुलूसे शोहदा ए कर्बला रवायती अंदाज में निकाला गया। जिसमें तमाम अंजुमनों ने शिरकत की। दिन के लगभग दो बजे भीमगंज गांव में जुलूस निकाला गया वही पुरौली व घुरवारा गांव में भी जुलूस दिन में रवायती अंदाज में निकाला गया और शाम के वक्त ताजियों को सुपर्द ए खाक किया गया। वहीं कस्बे में शेखवाड़ा स्थित बड़ा इमामबाड़ा से सभी ताजिया इकट्ठा होकर एक साथ लाव लश्कर के साथ जुलूस की शक्ल में रात को निकाला गया। इस दौरान जुलूस के जाने के समय लोगों ने जगह-जगह पर लंगरख्वानी का इंतजाम किया। ‘रात को क्या था सर, सुबह को क्या हो गया, आज हमारा इमाम हमसे जुदा हो गया’ नोहा खानी की तर्ज पर ताजिया को अपने कदीमी रास्ते से ले जाकर मियांटोला स्थित करबला में सुपुर्द-ए-खाक कर फातिया दरूद पढक़र दुआ की गई। इस दौरान अकरम खान, नफीस खान, साहब ए आलम उर्फ ननकू, सोहराब अली, मो. अयाज, आकिब जावेद, कामरान हुसैन, जुल्फिकार हुसैन, शहजादे सलमानी, मोहम्मद अजमी, वकाज हुसैन, सरफरोज आलम,अंसार हुसैन सहित तमाम लोग मौजूद रहे। कोतवाल पंकज तिवारी, डलमऊ चौकी इंचार्ज सुनील वर्मा एवं जुलूस में लगे सभी सिपाहियों को सकुशल संपन्न कराने के लिए बधाई दी।