रायबरेली। अपने व्यवहार को लेकर कर्मचारियों के बीच विवादित हुए सीडीओ प्रभाष कुमार शासन की योजनाओं को लेकर भी उदासीन हैं। आईएएस होने के रुतबे में आत्ममुग्ध सीडीओ को सरकारी आदेशों, उच्चाधिकारियों के निर्देशों की कोई परवाह नहीं है। मुख्य विकास अधिकारी की मनमानी पीडि़तों की समस्याओं के निराकरण और सुलभ न्याय में बाधक बनी हुई है। शासन के महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी कार्यक्रम संपूर्ण समाधान दिवस के प्रति भी सीडीओ एकदम लापरवाह हैं। एक महीने बीतने के बावजूद भी सीडीओ निर्धारित रोस्टर के अनुसार किसी भी संपूर्ण समाधान दिवस में उपस्थित नहीं हुए। बल्कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाले समाधान दिवस में ही बैठकर अपने नंबर बढ़ाने में जुटे हुए हैं। निर्धारित तहसीलों में सीडीओ के न पहुंचने के कारण फरियादियों को मायूस होना पड़ रहा है। समस्याओं के निराकरण हेतु शासन ने माह के प्रथम व तृतीय शनिवार को तहसीलों में संपूर्ण समाधान दिवस के आयोजन का आदेश दे रखा है। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने रायबरेली में जुलाई से दिसंबर तक होने वाले संपूर्ण समाधान दिवस का बाकायदा रोस्टर जारी कर रखा है। रोस्टर के अनुसार सीडीओ को दो जुलाई को ऊंचाहार, 16 जुलाई को सालोन और छह अगस्त को महराजगंज तहसील में होने वाले संपूर्ण समाधान दिवस में उपस्थित रहना था। बावजूद इसके सीडीओ उस तहसील में मौजूद थे जहां जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव स्वयं फरियादियों की समस्याएं सुन रही थी। जबकि जिन तहसीलों में सीडीओ की उपस्थिति सुनिश्चित की गई थी वहां फरियादियों को एसडीएम के समक्ष ही अपनी पीड़ा व्यक्त करनी पड़ी। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीडीओ प्रभाष कुमार अपने प्रशासनिक दायित्व के निर्वहन में कितने लापरवाह हैं? रोस्टर के अनुसार अभी सीडीओ को 20 जुलाई को तहसील सदर, तीन सितंबर को डलमऊ, 17 सितंबर को लालगंज, एक अक्टूबर को ऊंचाहार, 15 अक्टूबर को सलोन, पांच नवंबर को महाराजगंज, 19 नवंबर को सदर, तीन दिसंबर को डलमऊ तथा 17 दिसंबर को लालगंज में आयोजित होने वाले संपूर्ण समाधान दिवस में उपस्थित रहना है। रोस्टर के अनुसार सीडीओ की समाधान दिवस में उपस्थिति ना होने के बारे में जब जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसे दिखवाया जाएगा।