ढाका, 19 दिसंबर। बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने बीएनपी सरकार के तहत गृह मामलों के पूर्व राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर और छह अन्य को 10 ट्रकों से जुड़े हथियारों की तस्करी के एक बहुचर्चित मामले में बरी कर दिया है। भारतीय अलगाववादी संगठन उल्फा के एक सैन्य कमांडर परेश बरुआ की सजा को भी मौत की सजा से घटाकर आजीवन कारावास में बदल दिया गया है। इसके अलावा अदालत द्वारा मौत की सजा पाए छह अन्य दोषियों की सजा घटाकर 10 साल की जेल कर दी गई है। न्यायमूर्ति मुस्तफा जमान इस्लाम और न्यायमूर्ति नसरीन अख्तर की पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया।
अदालत ने मौत की सजा पाए दोषियों के लिए मृत्युदंड संदर्भों को खारिज कर दिया और उनकी अपीलों के साथ-साथ अन्य दोषियों की अपीलों को भी मंजूरी दे दी।
बरी किए गए लोगों में बाबर, पूर्व एनएसआई महानिदेशक और सेवानिवृत्त मेजर जनरल रज्जाकुल हैदर चौधरी, सरकारी स्वामित्व वाली उर्वरक फैक्ट्री चटगांव यूरिया फर्टिलाइजर लिमिटेड (सीयूएफएल) के पूर्व प्रबंध निदेशक मोहसिन तालुकदार, सीयूएफएल के पूर्व महाप्रबंधक (प्रशासन) एकेएम इनामुल हक, पूर्व जमात अमीर मौलाना मतिउर रहमान निजामी, पूर्व कार्यवाहक उद्योग सचिव नूरुल अमीन और पूर्व एनएसआई महानिदेशक ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) अब्दुर रहीम शामिल हैं।
निजामी और रहीम की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए उनके खिलाफ मामला वापस ले लिया गया है।
जिन लोगों को 10 साल की सजा सुनाई गई है, उनमें एनएसआई के पूर्व उप निदेशक और सेवानिवृत्त मेजर लियाकत हुसैन, एनएसए के पूर्व निदेशक और सेवानिवृत्त विंग कमांडर साहब उद्दीन अहमद, एनएसआई के पूर्व फील्ड ऑफिसर अकबर हुसैन खान, ‘तस्कर’ हाफिजुर रहमान और दीन मोहम्मद और तस्करों के सहयोगी हाजी अब्दुस सोभान शामिल हैं।
1 अप्रैल, 2004 को चटगाँव के सीयूएफएल घाट से 10 ट्रक हथियारों की खेप जब्त की गई थी। इस घटना को लेकर बंदरगाह शहर के कर्णफुली पुलिस स्टेशन में शस्त्र अधिनियम और विशेष अधिकार अधिनियम के तहत तस्करी का आरोप लगाते हुए दो मामले दर्ज किए गए थे। ये हथियार भारत के अलगाववादियों के लिए लाये जा रहे थे। एक बांग्लादेशी पत्रकार ने बांग्लादेश में तख्तापलट की घटना के शीघ्र बाद ही इस मामले के आरोपियों को सजामुक्त होने की बात अगस्त में भारतीय चैनलों के साक्षात्कार में कही थी।
30 जनवरी, 2014 को चटगाँव विशेष न्यायाधिकरण ने इस मामले में अपना फैसला सुनते हुए पूर्व उद्योग मंत्री और जमात-ए-इस्लामी के अमीर निज़ामी, पूर्व गृह राज्य मंत्री बाबर, उल्फ़ा नेता परेश और दो खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों को मौत की सज़ा सुनाई गई। शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक अलग मामले में, सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
ट्रायल कोर्ट के फैसले के बाद, मामले के दस्तावेज़ – जिसमें फैसला भी शामिल है – 6 फरवरी, 2014 को उच्च न्यायालय की मृत्यु संदर्भ शाखा में पहुँच गए। दोषियों ने जेल से अपनी सज़ा के खिलाफ़ 2014 में उच्च न्यायालय में अलग-अलग अपील दायर की। 6 नवंबर को मृत्युदंड के संदर्भ (मृत्युदंड के निष्पादन के लिए अनुमोदन प्रक्रिया का एक हिस्सा) और दोषियों की अपील पर सुनवाई शुरू हुई।
वकील एसएम शाहजहां, मोहम्मद शिशिर मनीर और एडवोकेट मोहम्मद अहसान ने आरोपियों का प्रतिनिधित्व किया। डिप्टी अटॉर्नी जनरल सुल्ताना अख्तर रूबी और सहायक अटॉर्नी जनरल मोहम्मद आसिफ इमरान ज़िसान ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया।
(बांग्लादेशी अख़बारों में छपी खबरों और पत्रकारों से बातचीत पर आधारित)