Saturday, December 28, 2024
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ट्रम्प के शासन में बांग्लादेश में क्या बदलाव अपेक्षित हैं?

रिपब्लिकन पार्टी के विजयी प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प जनवरी में ऑफिस ज्वाइन करेंगे। उनके वाइट हाउस में पहुँचने के साथ देश-दुनिया में कैसे बदलाव आएंगे इस पर राजनीतिक पंडितों ने अपनी राय देना शुरू कर दिया है। अमेरिकी विदेश नीति में एकदम आमूलचूल परिवर्तन की बात भी कुछ लोग कर रहे हैं, वहीँ बाकियों का मानना है कि एकदम बदलाव कर पाना ट्रम्प के लिए सम्भव नहीं होगा। यहाँ यह वापस कह देने की आवश्यकता है कि ट्रम्प थोड़ा अलग मिजाज के हैं, और उनके लिए किसी भी दिशा में मनमुताबिक कदम बढ़ा लेना कोई बड़ी बात नहीं है। ट्रम्प के इस व्यवहार के लिए उन्हें अलग-अलग विशेषणों से भी पुकारा गया है। बहरहाल, इन सबके बीच इस बात पर जानकारों की नजर है कि आने वाले समय में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे।

अमेरिका के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयुक्त जॉनी मूर ने बाइडेन प्रशासन द्वारा “बांग्लादेश पर अधिक ध्यान न देने” पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए अल्पसंख्यकों से संबंधित स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है, “यह न केवल बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए अस्तित्व के लिए खतरा है”।

एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में, मूर ने कहा कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी मूल्यों के पैरोकारों की एक अविश्वसनीय टीम के साथ आ रहे हैं, जो भारत को अपरिहार्य सहयोगी के रूप में देखते हैं।

पूर्व अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयुक्त (USCIRF) मूर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बीच अमेरिका के रुख के बारे में पूछा गया था।

यह पूछे जाने पर कि डोनाल्ड ट्रंप बाइडेन प्रशासन से अलग क्या करेंगे, उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिसे भारतीय संस्कृति और अमेरिकी संस्कृति की प्रतिभा के साथ मिलकर हल नहीं किया जा सकता।

वहीँ बांग्लादेश की दशा भीतर से देख रहे कुछ बुद्धिजीवियों में भी ट्रम्प के आने से आशा की किरणें दिखाई दे रही हैं। शेख हसीना के निर्वासन और मोहम्मद यूनुस के सत्ता प्रमुख बनने के बाद से अब तक वहाँ अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा सँभालने का नाम नहीं ले रही है। इस्कॉन से जुड़े रहे हिन्दू समुदाय के नेता स्वामी चिन्मय कृष्ण दास के मुखर हो जाने के कारण गिरफ़्तारी और तनाव हाल के दिनों में और बढ़ गया है जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने आपत्ति भी जताई है। बांग्लादेशी शुभचिंतक वहाँ की समस्या के समाधान के लिए ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की ओर देखते हैं। ऐसे में मूर की बातें यदि सही साबित होती हैं तो बांग्लादेश में अच्छे बदलाव की उम्मीद लगाना गलत नहीं होगा।

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