सन 2016 में कनाडियन संसद में दिए गए अपने बयान में जस्टिन ट्रूडो ने 1914 में घटी एक घटना के लिए माफ़ी मांगी थी। ट्रूडो के हालिया रवैय्ये को देखते हुए उनके उस माफ़ी वाले बयान के पीछे की कहानी को समझना भी जरुरी है। सन 1914 (कहीं-कहीं 1916 लिखा है) में एक जापानी जहाज कोमागाटा मारू में सवार होकर 376 यात्री जिनमें से ज्यादातर हिन्दू, मुस्लिम और सिख थे कनाडाई तट पर पहुंचे। क्यों पहुंचे उसके पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं- पहला यह कि भारत के बाहर बसे तमाम भारतीय मूल के लोग आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए भारत की ओर रुख कर रहे थे, जिनमें से एक जहाज किसी रास्ते कनाडा रुका था। दूसरी कहानी यह कि जहाज में सवार लोग अच्छे जीवनयापन के लिए कनाडा में बसना चाहते थे। कौन सी कहानी सही है वह और शोध का विषय है, कहानी यह हुई कि कनाडा सरकार ने तामझाम बता कर इन यात्रियों को न उतरने दिए और न ही जहाज पर कुछ जाने दिया। मजबूरन वहाँ से विरोध-प्रदर्शन के बाद जब जहाज चला तो उसमें सवार बहुत से यात्रियों की मृत्यु हो गयी थी। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी थे।
ट्रूडो की माफ़ी को सराहा गया था, लेकिन जैसे-जैसे परतें उखड़ रहीं हैं, यह भी लिखा जाने लगा है (और जो कि सही भी लगता है) कि ट्रूडो ने यह सब कनाडा में बसे भारतीयों को रिझाने के लिए किया था।