रायबरेली, 4 नवंबर। शहर के ज्यादातर कोनों में किसी समय चले जाइये, वहाँ आपको कूड़े के ढेर सड़कों और आसपास फैले हुए मिल जायेंगे। आज की दो तस्वीरें सत्यनगर और मोहनसिंह नेत्र चिकित्सालय के सामने की हैं। इन जगहों पर हमेशा कूड़ा सड़क और आसपास इस तरह फैला रहता है कि यह स्वच्छ भारत मिशन को केवल शाब्दिक बना देता है। नगरपालिका की तरफ से दिन में एक-दो बार झाड़ू लगा देने से स्थिति नहीं सुधरने वाली है। UNDP के साथ स्वच्छ भारत मिशन पर काम कर चुके एक मित्र ने कुछ समय पहले यह बताया था कि सरकार और समाजसेवी संस्थाएं इस तरह की योजनाएं ला सकती हैं, लेकिन नागरिकों की आदत बदलने में बहुत लम्बा समय लगता है।
हाँ, इस पर नगरपालिका, जनप्रतिनिधियों और प्रशसन की तरफ से सघन अभियान चलाया जा सकता है। एक वेस्ट रिसाइकिलिंग प्लांट लगाया जा सकता है, और एक लक्ष्य तय करके साफ़-सफाई के महत्व को इस तरह समझाया जा सकता है कि केवल अपने घरों और प्रतिष्ठानों में साफ़-सफाई का कोई महत्व नहीं है जब तक आसपास गंदगी फैली रहे। कितनी संचारी बीमारियों का कारण गंदगी है, इस पर एक-आध किताबें लिखीं जा सकती हैं।