फोटो ‘निहोन हिदानक्यो’ की वेबसाइट से
जापान की संस्था ‘निहोन हिदानक्यो’ को वर्ष 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने के प्रयासों के लिए और विटनेस टेस्टीमनी के माध्यम से यह सन्देश देने के लिए कि दुनिया में दोबारा परमाणु हथियारों का प्रयोग कभी न किया जाये – इस जापानी संस्था को पिछले शुक्रवार 11 अक्टूबर को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। अमेरिका द्वारा 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर गोराये गए परमाणु हमले में बच गए लोग ‘निहोन हिदानक्यो’ के सदस्य हैं। इन्हें ‘हीबाकुशा’ या बम से प्रभावित लोग भी कहा जाता है। हीबाकुशा ने परमाणु हथियार मुक्त दुनिया बनाने के लिए एक वैश्विक आंदोलन चलाया हुआ है। 10 अगस्त 1956 को शुरू हुई ‘निहोन हिदानक्यो’ के मुख्य उद्देश्य हीबाकुशा के हितों के लिए काम करना, परमाणु हथियारों से दुनिया को मुक्त कराना और परमाणु हमलों से प्रभावित लोगों को सही मुआवज़ा दिलाना है।
नोबेल शांति पुरस्कार का चयन करने वाली समिति ने ओस्लो से जारी की गयी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ‘निहोन हिदानक्यो’ की विटनेस टेस्टिमनी ने “परमाणु हथियारों के उपयोग के विनाशकारी मानवीय परिणामों के बारे में जागरूकता” फ़ैलाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इससे पहले वर्ष 2017 में, ‘परमाणु हथियारों के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान’ (ICAN) को परमाणु हथियारों के भयावह मानवीय परिणामों की ओर ध्यान आकर्षित करने तथा उन पर संधि आधारित प्रतिबंध लगाने के अभूतपूर्व प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।