Tuesday, December 24, 2024
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इतिहास में हैं रूस- यूक्रेन युद्ध की जड़ें: अभय सिंह

फोटो- अभय सिंह के फेसबुक से
मैं रूसी सरकार का हिस्सा हूं, इसलिए मेरा रुख भी सरकार जैसा ही है। आपने रूस और यूक्रेन में चल रहे हालात का मुद्दा उठाया है। बात यह है कि भले ही यह 2022 में शुरू हुई घटना का विस्तार लगता हो, लेकिन ऐसा नहीं है। यह संघर्ष कम से कम 70 साल पुराना है। पश्चिमी देश रूस को सोवियत संघ जितना मजबूत बनते नहीं देखना चाहते। इसलिए वे बहुत सारा पैसा खर्च कर रहे हैं। यूक्रेन में पिछले बीस सालों से रूस विरोधी भावनाएं फैली हुई हैं। इतिहास हमें बताता है कि उपनिवेशवादियों ने अपने शासन को फैलाने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाई। अब रणनीति बदल गई है। कई देशों में नारंगी क्रांति हो रही है, जिसमें वहां की सरकारें बदलना शामिल है। इसके उदाहरण यूक्रेन, बांग्लादेश, लीबिया आदि हैं। इन नव-उपनिवेशवादियों का एक ही मकसद है: देशों को बांटना और उनके बीच शत्रुता बढ़ाना। क्या हमें भारत के विभाजन की ओर ले जाने वाली घटनाएं याद नहीं हैं? अगर आप यह जाँच लें कि यह कैसे हुआ और भारतीय उपमहाद्वीप पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है, तो आप इसे बेहतर समझ पाएँगे। धन्यवाद!
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