कुछ दिनों पहले हरिद्वार राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में पहलेपहल तो एक संकल्प लिया गया –
” हम अपने पूर्वजों के सूक्ष्म संरक्षण तथा जिस राष्ट्रीय ध्वज की आन, बान और शान की रक्षा के लिए, हमारे पूर्वजों ने, बलिदान दिया, उस तिरंगे की साक्षी में, संकल्प लेते हैं कि, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों/, शहीदों, के सम्मान, तथा, अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए, माननीय प्रधानमंत्री जी की घोषणा के अनुसार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के, सपनों का भारत बनाने के लिए, एकता के सूत्र में बंधकर, अपने पूर्वजों की, गरिमा के अनुरूप, सरकार के साथ, कदम से कदम मिलाकर, चलते हुए, सतत प्रयत्नशील रहेंगे। सरकार के द्वारा, सार्थक कदम उठाने पर, हम सहयोगी की भूमिका निभाएंगे, अन्यथा हम अपने संरक्षक महामहिम राष्ट्रपति महोदया, माननीय प्रधानमंत्री जी, तथा, माननीय मुख्यमंत्रियों के, दरवाजे पर, अपनी गरिमा के अनुरूप, सभी सहयोगियों के साथ, अपनी आवाज पहुंचाने के लिए जाएंगे। जय हिंद, वंदे मातरम, भारत माता की जय।”
सम्मलेन में स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिजनों के कल्याण के विषय पर कई बिंदुओं पर चर्चा की गयी। पहली मांग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी/ शहीद परिवार कल्याण परिषद की स्थापना की रखी गयी है। साथ ही, राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी/शहीद राष्ट्रीय स्मारक की स्थापना की जाए, जिसमें देशभर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों शहीदों के इतिहास को संग्रहित किया जाए, इस प्रस्तावित स्मारक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों/ शहीदों के वंशजों के ठहरने व भोजन इत्यादि की व्यवस्था नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए। इसी तरह की व्यवस्था सभी राज्यों में की जाय।
यह भी कहा गया कि संवैधानिक संस्थाओं राज्यसभा, विधान परिषद, केंद्रीय समितियां तथा नगर निकायों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों/ शहीदों के परिवारों का मनोनयन किया जाए तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी /शहीद परिवार कल्याण परिषद का गठन किया जाए जिससे शासन प्रशासन से जुड़े जनहित के कार्यों में इन परिवारों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों /शहीदों की गौरव गाथा से अगली पीढ़ियां को अवगत कराने के लिए उनकी जीवनी को जिलेवार पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। शासन स्तर पर प्रत्येक जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों /शहीदों का जीवन परिचय पुस्तिकाकार रूप में प्रकाशित किया जाए तथा इसकी प्रतियां शिक्षण संस्थानों और पुस्तकालयों में उपलब्ध कराई जाएं।
उत्तराखंड सरकार की भांति संपूर्ण देश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों /शहीदों की प्रथम पीढ़ी के उत्तराधिकारियों को सम्मान पेंशन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, जहां उनकी प्रथम पीढ़ी समाप्त हो गई है, वहां उनकी अगली पीढ़ियों को आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत दयनीय स्थिति में जीवनयापन कर रहे परिवारों को आर्थिक मदद तथा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों /शहीदों की अगली पीढ़ियों के उत्तराधिकारियों को शासकीय तथा अर्धशासकीय सेवाओं एवं शिक्षण संस्थानों में न्यूनतम 5% का क्षैतिज आरक्षण दिया जाए।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों/ शहीदों के परिवारों को विशेष पहचान दी जाए तथा केंद्र सरकार द्वारा इन परिवारों के ऑनलाइन परिचय पत्र जारी किए जाएं, गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गठित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एमिनेंट कमेटी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी /शहीद परिवारों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित संगठनों के प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मांगपत्र का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि हाल के कुछ विमर्शों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार की कितनी पीढ़ियों को किसी भी तरह की सुविधा का लाभ मिलेगा इस पर प्रश्न चिन्ह लगाए गए हैं