आशा बहुओं द्वारा लगाए जा रहे गंभीर आरोपों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं
रायबरेली। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन रायबरेली की जिलाध्यक्ष गीता मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों आशा कर्मियों ने अपनी वर्षों के बकाया प्रोत्साहन राशियों के भुगतान किए जाने, भुगतान में बड़े पैमाने में हेर-फेर और बाउचर जमा करने के एवज में की जाने वाली जबरन वसूली रोके जाने की मांगों को लेकर विकास भवन में धरना दिया और बाद में जुलूस निकला तथा जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी आशा कर्मियों को संबोधित करते हुए गीता मिश्रा ने कहा कि इस माह में हम दोबारा यहां अपनी फरियाद लेकर आए हैं, जुलाई में बच्चों के एडमिशन नहीं, रक्षा बंधन में भाई के मुंह में एक टुकड़ा मिठाई नहीं अब दीपावली में मोमबत्ती खरीदने के लिए दो रुपए नहीं और काम की कोई सीमा नहीं, भ्रष्टाचार का आलम यह है कि प्रतिमाह बाउचर जमा करने का 300 से 500 वसूला जाता है, भुगतान का कोई हिसाब नहीं, वर्षों से चीख रहे है पर न भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि भुगतान के नाम पर महाराजगंज सीएचसी की आशा कर्मियों को छह माह बाद एक हजार 12 सौ दिए गए हैं और कही छह हजार तो कहीं अभी वह भी नहीं, भुगतान पर बात करने, वसूली के खिलाफ आवाज उठाने पर निकालने की धमकी, मारपीट तक की जाती है। जगतपुर सीएचसी में कोविड प्रोत्साहन राशि के भुगतान में प्रति आशाकर्मी से प्रभारी बीसीपीएम द्वारा दो हजार की वसूली की गई और उसके विरुद्ध आवाज उठाने पर प्रभारी और बीसीपीएम ने ब्लॉक अध्यक्ष सरिता त्रिपाठी के साथ अभद्र्रता की और पिटवाया, जिसकी रिपोर्ट भी हुई, पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। बार-बार जिला स्वास्थ्य समिति की अध्यक्ष डीएम को लिखित देते हुए इसे रोकने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की किंतु सब कुछ अभी भी एक रिवाज की तरह जारी है। संगठन लगातार लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठा रहा है, अगर यह सब इसी तरह चलता रहा तो संगठन की कुछ दूसरे कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। सहसचिव सरला श्रीवास्तव ने कहा कि अभी दीपावली तक हमारा सारा भुगतान कराया जाए यह हजार, दो हजार की टिप नहीं चाहिए बल्कि शासन द्वारा अनुमन्य राशि का कुल भुगतान किया जाए। राधा राजपूत ने कहा कि जिला अस्पताल के आशा विश्राम कक्ष में कबाड़ घर बना दिया गया, उसे खाली करवाकर आशाकर्मियों के बैठने के लिए खोला जाए, तथा आशाकर्मियों के साथ होने वाले दुव्र्यवहार की रोकथाम के लिए हर चिकित्सालय को एक सर्कुलर जारी करते हुए यौन उत्पीडन को रोकने के लिए जिला स्तरीय जेंडर सेल का गठन किया जाए। ज्ञापन के लेने के लिए किसी अधिकारी के उपलब्ध होने पर आशाकर्मियों ने नाराजगी का इजहार किया, गुस्से को देखते ही अतिरिक्त मजिस्ट्रेट ने आकर वार्ता की और मुख्य चिकित्साधिकारी से दूरभाष पर भुगतान व वसूली के संदर्भ में बात की। कार्यक्रम में मीना पाल, रेखा, सावित्री, संगिता आदि प्रमुख रूप से शामिल रहीं।