कस्बे के महिला चिकित्सालय से अक्सर गायब रहती हैं महिला चिकित्सक
महराजगंज (रायबरेली)। जिले में डिप्टी सीएम के दौरे की जानकारी होते हुए भी बखौफ महिला चिकित्सक अस्पताल से नदारद रहीं। पूरे अस्पताल में लटकते ताले जिम्मेदारों के लापरवाही की कहानी सुना रहे थे। मरीज व तीमारदार मायूस हो क्षेत्र में झोलाछाप डाक्टरों के पास जाने को मजबूर दिखे। मीडिया के अस्पताल पहुंचने की जानकारी होते ही अधीक्षक द्वारा सीएचसी की एक महिला चिकित्सक भेजकर करके किसी तरह खानापूर्ति कर दी गयी। यह पहला मौका नहीं रोज का रवैया है। इसके बावजूद भी लापरवाह चिकित्सकों व अधीक्षक पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। गुरूवार को बछरावां मार्ग पर स्थित सरकारी महिला अस्पताल में पहुंची मीडिया टीम को पूरे अस्पताल में सन्नाटा पसरा मिला। चिकित्सक सहित सभी कमरों में ताले शोभायमान हो रहे थे। तमाम महिला मरीज मायूस होकर वापस जाती देखी गयी। मामले में जब महिला मरीजों रानी और सविता से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि अक्सर उन्हें यहां पर कोई महिला चिकित्सक नहीं मिलता है। जिससे मजबूर हो उन्हें प्राइवेट डाक्टरों से इलाज कराना पड़ता है जिसके लिए उन्हे काफी पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। बताते चलें कि महिला अस्पताल में दो महिला चिकित्सक रंजना सिसोदिया व कुशा मलिक के साथ फर्मासिस्ट की भी तैनाती है, लेकिन मौजूद कोई भी नहीं था। मीडिया के पहुंचने की खबर मिलते ही अधीक्षक डॉ. राधाकृष्णा ने सीएचसी मे मौजूद राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में लगी महिला चिकित्सक डॉ. शमीना खान को तत्काल अस्पताल भेजकर ताले खुलवा दिये। जब अधीक्षक डॉ. राधाकृष्णा से जानकारी की गयी तो उन्होने बताया कि महिला चिकित्सक की तबियत खराब होने के कारण वह नहीं आईं तो दूसरी महिला चिकित्सक को ड्यूटी पर लगाया गया था। अधीक्षक के इस बयान से साफ है कि चिकित्सकों के नदारद रहने का सिलसिला उनके संरक्षण में ही चल रहा है। अधीक्षक व चिकित्सकों की साठगांठ के चलते महिला चिकित्सालय बन्द होने की कगार पर है।