जिन हाथों से राखी बांधी थी उन्हीं हाथों से भाई को पकड़ कर कटवा डाला
मोहब्बत के लिए प्रेमी के साथ मिलकर बहन ने किया 12 साल के भाई का कत्ल
घटना छिपाने के लिए एक हत्यारोपी व दो अज्ञात पर दर्ज करवाया था मुकदमा
एसपी आलोक प्रियदर्शी की सूझबूझ और भदोखर एसओ की तत्परता से जेल जाने से बचे निर्दोष
रायबरेली। बात जुर्म से जूझते आवाम की हो या समाज में बढ़ते क्राइम ग्राफ की, अपराध के हर सूरत के पीछे कोई न कोई गुनहगार छिपा होता है। जिले के भदोखर थाना क्षेत्र में एक बहन ने रिश्तों के पन्नों पर ऐसी खूनी व खौफनाक कहानी लिखी जिसकी सच्चाई ने सबको सन्न कर दिया। मोहब्बत के लिए भाई का मर्डर करने वाली बहन ने गुनाह पर पर्दा डालने के लिए भाई की लाश को चारपाई पर लिटा दिया और आरोप दूसरे लोगों पर मढ़ा, मगर पुलिस की तफ्तीश के सामने उसकी सारी की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई।
आशिक के साथ प्लान बनाकर भाई को मौत के घाट उतारकर रिश्तों का कत्ल करने वाली इस बहन ने राखी के पवित्र धागे की भी लाज नहीं रखी। इस अंधे प्रेम कहानी की शुरुआत भदोखर थाना क्षेत्र के गोसुवापुर मजरे बेलाखारा गांव की है। यहां की रहने वाली उमा का प्रेम-प्रसंग जफरापुर निवासी अनुज सिंह उर्फ रोलू पुत्र राज बहादुर सिंह से चल रहा था। रोलू का ट्यूबेल गांव से थोड़ी दूर पर स्थित है। यही ट्यूबेल इन दोनों प्रेमी युगलों का लव प्वाइंट बना। यहीं अक्सर उमा और रोलू की चोरी-छिपे मुलाकातें होती थी। उमा के पिता पानीपत में काम करते हैं। घर पर मां और दादी रहती हैं। 11 फरवरी को उसकी मां भीलमपुर गांव निमंत्रण में गई थी। घर में उमा और उसका 12 साल का भाई प्रांशू मौजूद था। आधी रात को उमा प्रेमी से मिलने लव प्वाइंट बने ट्यूबेल पर पहुंच गई। वापस घर लौटी तो प्रांशू ने रात में जाने का कारण और स्थान पूछा। उसने यह भी कहा कि वह मां को बता देगा। प्रेम के बीच पल रही हवस में भाई का बाधक बनना बहन को नागवार गुजरा। उसने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रच डाली। प्रांशू जब सो गया तो उमा ने प्रेमी को फोन करके बुलाया। जिन हाथों से राखी बांधी थी उन्हीं हाथों से भाई के हाथ पकड़ लिए और प्रेमी ने कुल्हाड़ी से वार पर वार कर डाला। खून से लथपथ बालक की सांसे पल भर में ही थम गईं। प्रेमी वापस चला गया। फोन करके प्रांशू के मरे होने की पुष्टि की और उमा को ड्रामा फैलाने की योजना बताई। उमा ने शोर मचाना शुरू किया और हत्या के आरोपी रह चुके अंकित यादव और दो अज्ञात व्यक्तियों पर भाई की मौत का ठीकरा फोड़ दिया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके जब छानबीन शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। उमा ने पहले मोबाइल फोन होने से इंकार किया। बाद में पुलिस की जांच में मोबाइल मिला तो हत्या की कहानी सामने आ गई। एसपी आलोक प्रियदर्शी ने एएसपी विश्वजीत श्रीवास्तव और सीओ सिटी वंदना सिंह के साथ इस ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया। एसपी की दूरदर्शिता के कारण ही निर्दोष जेल जाने से बच गए। इस हत्याकाण्ड के खुलासे में भदोखर थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, एसआई नितिन मलिक, मुख्य आरक्षी राना सिंह, आरक्षी गनेश सिंह और महिला आरक्षी नीरज शाश्वत तथा श्रेया त्रिपाठी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।