शिवगढ़ (रायबरेली)। क्षेत्र के लाही बॉर्डर गुमावां स्थित संकट मोचन मंदिर में चल रही संगीतमयी सात दिवसीय श्री रामकथा के चौथे दिन कथावाचक पं.बृजेश शुक्ल शास्त्री जी महराज ने निषादराज-लक्ष्मण संवाद, राम केवट संवाद की बड़ी ही मार्मिक कथा सुनाई। वन गमन के दौरान अयोध्या के राजकुमार राम- जनक नंदिनी सीता और लक्ष्मन को कटीले एवं कंक्रीट भरे रास्ते में नंगे पैर चलते देखकर निषादराज भावुक हो उठा और उन्हें अपने महल ले जाने एवं उनसे अपनी नगरी का राजा बनने का अनुरोध किया। किन्तु राम ने उसके राजमहल में जाने एवं उसके राज्य का राजा बनने से इंकार कर दिया। गंगा पार करने के लिए श्रीराम केवट से बार-बार नाव लाने के लिए कहते हैं पर केवट नाव नहीं लाता है। केवट जान जाता है कि ये भगवान श्री राम ही हैं, परंतु उसने नांव लाने से मना कर दिया जिस पर श्री राम ने नांव ना लाने की वजह पूछी, केवट ने उत्तर दिया और बोला, प्रभु मैं आपकी लीलाओं से अच्छी तरह अवगत हू, मैं जनता हूं। आपके चरणों की रज के जादू को जो एक पत्थर को सुन्दर नारी बना सकता है। अगर आपकी जादू भरी पद रज एक कठोर पाषाण को नारी बना सकती है तो यह तो मात्र लकड़ी से बनी नांव है। चरण धोने के बाद केवट उन्हें नदी पार कराई। इस मौके पर महंत रामकृष्ण दास, आनंद शुक्ला, राखी शुक्ला, शिवा शास्त्री, सूरज सिंह, लवलेश शुक्ला, सोनू, विनोद, राजेश, हरि बहादुर सिंह, राजेंद्र सिंह, अभिलाष मौर्या, हरियाणा दीक्षित, रेनू शुक्ला, दामिनी लक्ष्मण शुक्ला आदि श्रोतागण मौजूद रहे।