हिंदुस्तान आना चाहते थे हजरत इमाम हुसैन
ऊंचाहार (रायबरेली) ।गुरुवार को चौथी मुहर्रम पर नगर के कस्बे मुस्तफाबाद मे मातम का दौर जारी रहा | इस दौरान मजलिस में वक्ताओं ने हजरत इमाम हुसैन का भारत से रिश्ता बताया और कहा कि हिंदुस्तान हुसैन की मुहब्बत का मुल्क है ।
मुस्लिम धर्म गुरुओं ने बड़ा इमामबाड़ा में कर्बला के वाकये को बताया | ओवैश नकवी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन अपने नाना के उसूलों को आगे ले जाना चाहते थे | दीन और ईमान के रास्ते पर चलकर इस्लाम को आगे बढ़ाना चाहते थे | लेकिन यजीद इस्लाम को जागीर बनाना चाहता था | वह गलत रास्ते पर चलकर इस्लाम को बदनाम कर रहा था | जिसकी मुखालफत हुसैन ने की | जालिम याजीद हुसैन को झुकाना चाहता था | हुसैन ने अपना सर कटा दिया , लेकिन जुल्म , आतंक के सामने सर नहीं झुकाया | उन्होंने कहा कि हुसैन को हिंदुस्तान से बड़ी मुहब्बत थी , वह भारत आना चाहते थे , किंतु जालिम ने उन्हे भारत नहीं आने दिया । उन्होने किसनलाला किसन सीतापुरी की इन लाइनों को पढ़ा कि “ भारत में अगर आ जाता ह्रदय में उतारा जाता , यों चांद बनी हासिम का धोखे से न मारा जाता “ तो मौजूद लोगो की आंखे नम हो गयी | इसके अलावा हर घर मे शिया समुदाय के लोगो ने अपने अपने तरीके से मातम किया | उधर छठवीं मुहर्रम की तैयारी भी शुरू हो गयी है | शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुरूप अजादारी और मातम को लेकर अंजुमन ए नकविया के पदाधिकारीयों योजना बना रहे है | इस मौके पर प्रमुख रूप से आरिस नक़वी , सरकार नकवी ,असद हुसैन , मो अनस , शानू नक़वी , सरवर हुसैन , शाजू नकवी , अजहर अब्बास नकवी , सुल्तान अब्बास आदि मौजूद थे |