पाहो के मेड़ेश्वर महादेव मंदिर में रूद्र महायज्ञ व श्रीराम कथा का आयोजन
29 जुलाई का विशाल भंडारे के साथ होगा इस धार्मिक अनुष्ठान का समापनरायबरेली। खीरों विकास खंड के अंतर्गत स्थित पाहो के श्री मेडेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे रूद्र महायज्ञ एवं श्रीराम कथा प्रतिदिन श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। यज्ञ सम्राट गोपालाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में यजमानों द्वारा यज्ञ कुंड में आहुतियां दी जा रही हैं। सुबह से ही यज्ञ कुंड की फेरिया लगाने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्र हो रही है। सायंकाल श्रीराम कथा का आयोजन किया जाता है। कथा वाचक गोपालाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीराम चरित्र मानस परम पवित्र है। देवता भी श्रीराम के चरित्र के रहस्य को नहीं समझ पाते। श्रीरामचरित मानस का मुख्य सारांश यही है कि हमें प्रभु श्रीराम की तरह मर्यादित होकर अपने जीवन के उत्तरदायित्व को निभाना होगा। कथावाचक ने कहा कि आज पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रचलन के चलते जिस प्रकार से भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर प्रहार हो रहा है, उसी के परिणामस्वरूप आज हमारी युवा पीढ़ी तेजी से भ्रमित हो रही है। ऐसे में यदि भारतीय संस्कृति वेदों, पुराणों, ग्रंथों में बताए प्रेरणा प्रसंगों का प्रसार नहीं किया गया, तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हमारी भावी पीढ़ी को भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विद्वान बनना आसान है। सुजान और महान बनना भी आसान है, लेकिन इंसान बनना कठिन है। श्रीराम कथा आदर्श पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान राम का चरित्र जहां एक ओर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर जाति-पाति के भेदभाव को मिटाकर मानव मात्र में सौहार्द की भावना जगाता है। उन्होंने कहा रामकथा मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। साथ हीं मुक्ति का रास्ता भी बताती है। इसके रसपान ने बुद्धि व विचार बदलते हैं। जिससे आपसी कटुता समाप्त होकर समरसता फैलती है। महराज जी ने कहा कि मानव का कल्याण उसकी मानवता पर ही निर्भर होता है। पर मानवता क्या है? समाज आज इससे भटक रहा है। उसे याद कराने का सफल माध्यम राम कथा ही है। इसके श्रवण मात्र से लोगों को मानवता का भान हो जाता है। दुराचारी व्यक्ति को सत्संग से ही अच्छा इंसान बनने का अवसर प्राप्त हो जाता है। वही उन्होंने कहा कि जब भी मानव सत्संग का सहारा लिया उसमें अच्छे विचार, अच्छी सोच का समावेश होने लगा। उन्होंने कहा कि सद् व्यवहार करना भी भगवान की पूजा है। धर्म को जानने वाले लोग इस संसार को परिवार मानते हैं और उनको प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर का अंश दिखता है। जो व्यक्ति हमेशा परहित में लगे रहते हैं, वहीं सच्चे धर्म के पालक होते हैं। कार्यक्रम में अजय बाजपेई, सूरज भदौरिया, मुनी पांडेय, भईया जी, विनीत पांडेय आदि का सराहनीय सहयोग रहा। आज गुरूवार को पूर्णाहूति और शुक्रवार का विशाल भंडारे का आयोजन होगा।