- 2019 में दिनेश बने थे जिले के राजनैतिक इतिहास में सर्वाधिक वोट पाने वाले इकलौते उम्मीदवार
- घेरने की जुगत में हैं लोकसभा के टिकट की घोषणा होते ही एक साथ उठ खड़े हुए सारे विरोधी
रायबरेली। ना मांझी ना रहबर न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर यह कैसा सफर है…? योगी सरकार के राज्यमंत्री व भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के विरुद्ध भितरघात व अन्य माध्यमों से उन्हें कमजोर करने की साजिश रच रहे कई ‘माननीयों’ व विरोधियों के हालात कमोवेश कुछ ऐसे ही हैं। दिनेश प्रताप सिंह के दिन प्रतिदिन बढ़ते सियासी प्रभाव ने उनके अनेक ऐसे राजनीतिक विरोधी तैयार कर दिए हैं, जो कुत्सित व निंदनीय हरकतों को अंजाम देने से गुरेज नहीं करते। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी को नाको चने चबवा देने वाले दिनेश प्रताप सिंह को इस बार भारतीय जनता पार्टी ने फिर प्रत्याशी बनाया है। उनकी दावेदारी की घोषणा होते ही सारे विरोधी एक बार फिर एक साथ उठ खड़े हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी विरोधियों ने अपनी पूरी कोशिश की थी कि दिनेश प्रताप सिंह का चुनाव खराब हो जाए। बावजूद इसके अपने कुशल प्रबंधन के चलते उन्होंने वरोधियों की मंशा को चारों खाने चित कर दिया था। उन्होंने न केवल ऐतिहासिक मत अर्जित किए, बल्कि देश की बड़ी नेता सोनिया गांधी के जीत के अंतर को भी छोटा कर दिया। इस बार भी राज्यमंत्री दिनेश सिंह पूरी ताकत और जोश से चुनाव लड़ रहे हैं। जिस मजबूती के साथ भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं ने रायबरेली में मोर्चा संभाल रखा है उससे स्पष्ट है कि पार्टी हर हाल मेें रायबरेली की सीट चाहती है। दिनेश के राजनैतिक विरोधी भले ही इस चुनाव को एकतरफा बता कर अपनी हवा बना रहे हों लेकिन चुनाव विश्लेषक यह मानते हैं कि इस बार भी रायबरेली लोकसभा सीट पर तब कांटे की टक्कर है जब कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी मैदान में हैं।
भारत की चुनावी राजनीति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली रायबरेली लोकसभा की सीट पर 2019 के आम चुनाव में यहां मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी ने पिछले चुनाव में एक लाख 67 हजार 178 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी, उन्हें 5,34,918 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह अपनी लोकप्रियता के दम पर 3,67,740 मत पाने में कामयाब हुए थे। रायबरेली के चुनावी इतिहास में अब तक किसी पार्टी के प्रत्याशी स्वयं भाजपा को भी गांधी परिवार के सामने इतने वोट कभी नहीं मिले। रायबरेली की जनसांख्यिकी विविधताओं से भरी है और चुनावी नजरिये से यह उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्रों में रोचक और अहम है। इस निर्वाचन क्षेत्र में विगत 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.23 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार यानी की 2024 में मतदाताओं में खासा उत्साह है। वे लोकतंत्र में वोटों की ताकत दिखाने के लिए और ज्यादा जागरूक तथा तैयार हैं। इस बार कांग्रेस से राहुल गांधी और भाजपा से दिनेश प्रताप सिंह आमने-सामने हैं। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ रही है उससे वह कांग्रेस के मुकाबले कहीं कम नजर नहीं आती। एक तरफ भाजपा का बड़ा चेहरा व देश के गृहमंत्री अमित शाह का रायबरेली को चुनावी अखाड़ा बनाना तो दूसरी तरफ हिन्दुत्व का प्रमुख चेहरा व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दहाड़ को नगण्य नहीं किया जा सकता। खुद प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह का लोकल नेटवर्क इतना मजबूत है जिसने कई बार उनकी लोकप्रियता का प्रमाण दिया है। फिलहाल चुनाव को चुनाव के नजरिये से ही देखा जाना चाहिए। दिनेश को घेरने के लिए एकजुट हुए विरोधियों को रायबरेली में हर पल बन और बिगड़ रहे समीकरणों को दिमाग में रखना चाहिए। राजनीतिक चिंतक भी मानते हैं कि राहुल गांधी के मुकाबले दिनेश प्रताप सिंह उतने कमजोर प्रत्याशी नहीं है जितना कांग्रेस दिखाना और जनता को बताना चाहती है। रायबरेली में डेरा जमाए बैठी कई सर्वे कंपनियों के प्रतिनिधियों से हुई वार्ता भी राजनीतिक चिंतकों के मंतव्य को बल प्रदान करती है। फिलहाल इस सीट के परिणाम के लिए चार जून का इंतजार सबको है।