रायबरेली। अमेठी सीट से 2019 का चुनाव हारने के बाद बाद पहली बार राहुल गांधी ने अमेठी के लोगों से अपने रिश्तों पर बात की। अमेठी में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं 12 साल का था तब से यहां आ रहा हूं। मैंने अमेठी का वह समय देखा जब यहां बंजर खेत होते थे। टूटी हुई सडक़ें होती थीं। मैंने अपनी आंखों से अमेठी को बदलते हुए देखा है। मैं अपने पिता के साथ यहां आता था। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राजनीति में मैंने जो कुछ भी सीखा वह अमेठी से ही सीखा है। भावुक लहजे में राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैंने अमेठी को छोड़ दिया है। मैं अमेठी का था, अमेठी का हूं और अमेठी का रहूंगा। यह रिश्ता एक दो सालों का नहीं है। हमेशा का है। कल को मैं रायबरेली का सांसद हो जाउंगा। लेकिन एक बात याद रखिएगा कि मैं जितना रायबरेली का हूंगा उतना ही अमेठी का हूंगा। रायबरेली में जो भी विकास योजनाएं आएंगी वह सारी की सारी अमेठी में आएंगी। अमेठी में आपके सांसद केएल शर्मा जरूर होंगे लेकिन मैं भी आपका सांसद हूंगा। रायबरेली में यदि दस रुपए आते हैं तो यकीन मानिए कि अमेठी में भी दस रुपए आएंगे। यह पहला मौका था जब राहुल गांधी ने 2019 का चुनाव हारने के बाद अमेठी से अपने रिश्ते की बात कही। कुछ महीने पहले जब राहुल भारत जोड़ो न्याय यात्रा में अमेठी से गुजरे थे तब उन्होंने अपने और अमेठी के रिश्ते पर एक शब्द बात नहीं की थी। इन सबके बीच शुक्रवार को यहां पर सभा करने पहुंचे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से अपने रिश्तों को लेकर खुलकर बोले। कहा कि अमेठी पहली बार वह 42 साल पहले आए थे। उस वक्त वह 12 साल के बच्चे थे। पिता राजीव गांधी के साथ आया था। कहा कि जो भी राजनीति में मैंने सीखा है, वह अमेठी की जनता ने मुझे सिखाया है। 12 साल की उम्र में आया था, उस समय यहां पर सडक़ें नहीं थी, ऊसर जमीन थी कोई विकास नहीं था। कहा कि अमेठी का मेरे पिता से जो रिश्ता था, मोहब्बत थी। वह मैंने अपने आंखों से देखा था, वही मेरी भी राजनीति है।