Tuesday, December 24, 2024
Homeसख्शियत/साक्षात्कारएसपी का दो टूक : कुर्सी के लालच में नहीं कर सकता...

एसपी का दो टूक : कुर्सी के लालच में नहीं कर सकता गलत

बढ़ते अपराधों, राजनैतिक दबाव आदि सवालों पर कप्तान का बेबाक जवाब
पुलिस किसी दबाव में नहीं कानून व संविधान से करती है काम : प्रियदर्शी
रायबरेली
। जिले में जनता के बीच कानून का विश्वास पैदा करने और अपराधियों पर लगाम लगाने को लेकर अनुभवी और दूरदर्शी आईपीएस आलोक प्रियदर्शी ने दावा किया है कि महिलाओं की सुरक्षा व अपराधियों पर सख्त कार्रवाई ही उनकी पहली प्राथमिकता है। सैकड़ों अपराधियों को दबोचने का रिकार्ड़ बना चुके एसपी ने दो टूक कहा है कि किसी भी कीमत पर गुण्डों और अपराधियों के प्रति नरमी नहीं बरती जाएगी। जनता की समस्या सुनकर उसके निस्तारण के प्रति संवेदनशील एसपी ने कई सवालों का बड़ी बेबाकी से जवाब दिया। प्रस्तुत हैं जिले में अपनी धाकड़ छवि के लिए मशहूर हो रहे एसपी आलोक प्रियदर्शी से ‘कैनविज टाइम्स’ के जिला संवाददाता अनुज अवस्थी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल-जिले में बतौर एसपी आपकी पोस्टिंग हुए करीब दो महीने बीतने वाले हैं। आपको रायबरेली कैसा लगा?
जबाव-रायबरेली, प्रतापगढ़, अमेठी, बाराबंकी, उन्नाव, लखनऊ और फतेहपुर जैसे छह जिलों की सीमाओं से घिरा है। यह जनपद अमन पसंद हैं। यहां कुछ बाहर के अपराधी सक्रिय हैं, जो घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उन प्रभावी कार्रवाई हो रही है। पूरे विश्व की नजर इस जनपद के राजनैतिक मिजाज पर रहती है। यहां के लोग भी अच्छे हैं।
सवाल-जिले में कुछ थाने ऐसे हैं जो कई विशेष अपराधों के लिए बदनाम हैं। इसके बारे में क्या कहेंगे?
जबाव-मेरा पूरा फोकस थाने की कार्यप्रणाली पर है कि थाने से भ्रष्टाचार या अन्य किसी तरह की शिकायत कतई न आये और इसमें जो पुलिसकर्मी लगे हुए हैं वो पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम करें। इसके बावजूद अगर कोई शिकायत आती है, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी। जनहित सर्वोपरि होना चाहिए। पीडि़त की समस्या का निदान हमारा ध्येय है।
सवाल-निष्पक्ष पुलिसिंग के दौरान आपके काम में यदि कोई गलत राजनैतिक दबाव आता है, तो उससे कैसे निपटते हैं?
जबाव-पुलिस का कार्य किसी पॉलिटिकल दवाब में नहीं होता है। पुलिस आईपीसी, सीआरपीसी और जो संविधान है उसके अंतर्गत कार्य करती है, और मैं भी उसी हिसाब से काम कर रहा हूं। जो हमारे जन प्रतिनिधि हैं, जनता उन्हें चुनकर लाती है और जनता उनसे अपेक्षा भी करती है कि वे समस्याएं सुनें और उनकी मदद करें। जितनी जनता मेरे पास आती है, उससे कहीं ज्यादा उनके पास जाती है। हर जनप्रतिनिधि को अधिकार है कि संबंधित विभाग और अधिकारी तक बात पहुंचाएं। कोई कंप्लेंट आती है तो हम उसको मेरिटबेसिस पर देखते हैं। साफ नीयत और सही दिशा में काम किया जाए तो जन सर्मथन जरूर मिलता है। वैसे भी कहीं कुर्सी का बैनामा नहीं होता। आज यहां तो कल कहीं और, लेकिन मैं गलत नहीं करूंगा। पुलिसिंग पूरी निष्पक्षता से होगी। जिसे काम नहीं करना होता वह ही दबाव का बहाना बनाता है। जिसे काम करना होता है उसे केवल सत्य ही दिखता है।
सवाल- बेहतर पुलिसिंग व अपराध नियंत्रण के लिए आपकी क्या रणनीति है?
जवाब-मेरा यह प्रयास है कि पुलिस की विजीबिलिटी बढ़े, और न केवल गाडिय़ों के माध्यम से बल्कि ऑनफुट भी। खासकर ऐसे एरिया में जहां घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जिससे जनता में यह संदेश जाए कि पुलिस उनकी सेवा और सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर है। जो भी हो वह जमीनी हो और उसके परिणाम दिखने चाहिए। बहुत सारी घटनाएं वर्कआउट हुई हैं। चोरी की कुछ वारदातें बढ़ी हैं, उन पर काम हो रहा है।
सवाल- अभी भी कई थानों पर मुकदमें दर्ज नहीं किए जा रहे हैं, क्यों?
जवाब-मीटिंग्स के दौरान सबको बताया जाता है। रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश पर करीब 80 प्रतिशत अमल शुरू है। 20 प्रतिशत पुराने ढर्रे वाले हैं, जिन्हें सही करने का काम जारी है। जरूरी नहीं कि हर पीडि़त का प्रार्थना पत्र सही ही हो, उसमें दर्शाए गए बिन्दुओं की जांच हो और अगर तथ्य सही हैं तो तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। कुछ लोग दाएं-बाएं कर रहे हैं तो उन्हें ठीक किया जाएगा। आदेशों की अवहेलना और गुमराह करने वालों केलिए पुलिस लाइन में बहुत जगह है।
सवाल-जल्दी-जल्दी तबादले करने पर सवाल उठ रहे हैं, आप क्या कहेंगे?
जवाब-उन सवालों का बस यही जवाब है कि जो भी अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं करेगा वो 20 दिन में ही नहीं 20 मिनट में भी कुर्सी से हट सकता है। कई उदाहरण आपके सामने हैं। थाने की कुर्सी बस उसी के लिए है जो निष्पक्षता, ईमानदारी और सच्चाई से काम करें, बात-बात पर अपने बॉस को गुमराह करने वाले ज्यादा दिन के मेहमान नहीं होते हैं।
सवाल-थानेदारों और पुलिस कर्मियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब- सरकार और विभाग के निर्देशों का पालन करें, थाने आने वाले पीडि़त के साथ मधुर व्यवहार कर उसकी शिकायत को संवेदनशीलता के साथ सुने और उसका पूरी निष्पक्षता के साथ निराकरण करें। खाकी वर्दी सुरक्षा, सेवा और सहयोग के लिए मिली है। इसका हरपल ध्यान रहना चाहिए। हमारा व्यवहार हमारे आचरण और संस्कार को दर्शाता है।

Voice of Raebareli
Voice of Raebareli
हम लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित मीडिया पोर्टल हैं। हम इसके जरिए उन खबरों को सामने लाना चाहते हैं जिन पर बात तक करने के लिए जल्दी कोई तैयार नहीं होता है। जनपक्षधर पत्रकारिता को बढ़ाव देना ही हमारा उद्देश्य है। इसमें आप सबका सहयोग आपेक्षित है। तभी हम ‘सत्य भी, सत्याग्रह भी’, की उम्मीद को पूरा कर सकेंगे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!