स्वतंत्रता दिवस का पावन पर्व हमें उन सपनों से जोड़ता है, जो गुलामी की काली रातों में आजादी की सुनहरी सुबह के लिए देखे गए थे। 15 अगस्त 1947 को आखिरकार भारत ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। गांधी-सुभाष सहित हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आंदोलनकारियों के अथाह प्रयासों से हम स्वतंत्र हो सके। आएं, अपने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ, सपथ लें कि हम देश की सम्पन्नता में अपना योगदान देंगे। हम देश और उसके अन्नदाता किसान की आर्थिक-स्वतंत्रता के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इसी के साथ जनपदवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
माला श्रीवास्तव, जिलाधिकारी रायबरेली।