पटना, 23 जनवरी। समाजसेवी एवं बंदी अधिकार आंदोलन के प्रमुख संतोष उपाध्याय की जनहित याचिका (संतोष उपाध्याय बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, केस नंबर 12945 of 2016) पर पटना उच्च न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई हुई। न्यायालय ने राज्य की जेलों में अपने मां के साथ बंद एक से छह वर्ष के बच्चों को शिक्षित करने के मामलें में राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने जेल में डॉक्टर के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर भी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
इससे पूर्व हुई सुनवाई में न्यायालय ने इन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था संचारित करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को आदेश दिया था। साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया था। न्यायालय द्वारा राज्य के विभिन्न जेलों में अपने माँ के साथ एक से छह वर्ष के बीच बंद 103 बालक एवं 125 बालिकाओ को शिक्षित करने के कार्रवाई पर जोर दिया गया था।
न्यायालय को अधिवक्ता विकास पंकज ने संतोष उपाध्याय के हवाले से यह भी बताया था कि राज्य के जेलों में 50682 पुरूष और 2350 महिला विचाराधीन बंद हैं,जबकि 6995 पुरुष और 212 महिला सजायफ्ता बन्द है। सबसे ज्यादा भागलपुर महिला मंडल कारागार और नवादा मंडल कारागार में 16-16, कटिहार मंडल कारागार में 14, गया केंद्रीय कारागार में 13, बेतिया मंडल कारागार में 10, बेऊर आदर्श केंद्रीय कारागार में 9, मुज़फ्फरपुर, पूर्णिया केंद्रीय कारागार व सिवान,आरा,सीतामढ़ी, जहानाबाद मंडल कारागार में 8-8, दरभंगा मंडल कारागार में 7 नाबालिग बच्चेंअपनी माताओं के साथ बंद हैं। पूरे प्रदेश के जेलों में इस प्रकार कुल 103 बच्चे व 125 बच्चियां बंद है। इस मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल,2025 में होगी।