- 2017 में हुए बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराने के लिए एसपी आफिस आई थी महिला
- पूर्व में दर्ज हुई गुमशुदगी में ऊंचाहार पुलिस वाराणसी से महिला को कर चुकी है बरामद
- पुलिस की जांच में संदिग्ध पाई गई थी महिला की गतिविधियां व बनावटी निकली थी कहानी
रायबरेली। पुलिस पर दबाव बनाने के लिए एक महिला ने कप्तान की चौखट पर जहरीला पदार्थ खा लिया। महिला अपने साथ वर्ष 2017 में कथित रूप से हुए बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराना चाहती थी। पुलिस की जांच में महिला की गतिविधियां संदिग्ध पाई गई थीं। शायद इसी वजह से छह साल पुराने इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हो पा रहा था। महिला चाहती तो न्याय के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती थी, लेकिन उसे जिद थी कि पुलिस ही उसका केस दर्ज करे। पूरे प्रकरण की जमीनी हकीकत परखी गई तो तस्वीर शीशे की तरह साफ हो गई। महिला ने उकसावे में आकर पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ही जहर खाया। हालांकि उसका यह फार्मूला फिट बैठा, मुकदमा दर्ज हुआ और आरोपी गिरफ्तार कर लिया गया। प्रकरण लालगंज कोतवाली क्षेत्र के चकवापुर गांव का है। यहां रहने वाली एक महिला का आरोप है कि खीरों थाना क्षेत्र के भितरी निवासी श्यामू सिंह ने नहाते वक्त उसकी तस्वीर खींची, खीरों बुलाकर उसका बलात्कार किया और ब्लैकमेल करते हुए उसके ससुराल से जेवर ले आया। मामले की सच्चाई तो महिला ही जानती है, लेकिन पूरे प्रकरण की पृष्ठभूमि का परीक्षण किया गया तो कहानी में कई झोल सामने आए। 2017 में अपने साथ बलात्कार होने का दावा करने वाली इस महिला की शादी ऊंचाहार में वर्ष 2020 में हुई थी। महिला 12 जनवरी 2024 को अपनी ससुराल में यह बताकर निकली कि वह मायके जा रही है। अगले दिन जब ससुराल वालों ने पता किया तो महिला मायके नहीं पहुंची थी। परेशान ससुरालीजनों ने 14 जनवरी 2024 को ऊंचाहार कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज कराई। मामले की जांच एसआई मोहित कुमार को सौंपी गई। मोहित कुमार ने 27 जनवरी 2024 को वाराणसी से महिला को बरामद किया। वह यहां किसी अन्य लडक़े के साथ आई थी। चूंकि महिला बालिग थी और उसने अपने बयान में स्वेच्छा से जाने की बात स्वीकारी इसलिए पुलिस ने उसी दिन उसकी सास को बुलाकर सुपुर्द कर दिया। 29 जनवरी 2024 को महिला ससुराल से मायके आई। 31 जनवरी 2024 को महिला ने 2017 में अपने साथ हुए रेप का प्रार्थना पत्र दिया। इसमें महिला ने यह भी आरोप लगाया कि नहाते समय खींची गई उसकी तस्वीर के सहारे आरोपी ने ब्लैकमेल कर अक्टूबर 2023 में उसकी ससुराल से जेवरात चोरी कर लिए हैं। मामले की जांच उपनिरीक्षक मिठाई लाल को सौंपी गई। जांच शुरू हुई तो कई कहानियां निकल कर सामने आईं। लालगंज पुलिस की जांच में पाया गया कि आरोपी की ससुराल महिला के गांव में हैं। उसका आना जाना है। रिश्ते में आरोपी महिला का जीजा लगता है। महिला के चरित्र से संबंधित भी कई तथ्य प्रकाश में आए। पुलिस ने रिपोर्ट लगाई। महिला को बताया गया कि उसके आरोप के अनुसार रेप का घटनास्थल खीरों थाना क्षेत्र और आरोपी द्वारा चुराए गए जेवरात का घटनास्थल ऊंचाहार कोतवाली है, इसलिए उसे वहां जाना चाहिए। असंतुष्ट महिला ने 15 फरवरी को दोबारा प्रार्थना पत्र दिया। पुलिस ने पूर्व में हुई जांच रिपोर्ट का हवाला देकर इस प्रार्थना पत्र को भी निस्तारित कर दिया। गुरूवार को महिला तीसरी बार एसपी की चौखट पर पहुंची। एसपी ने प्रार्थना पत्र लेने के बाद लालगंज इंस्पेक्टर से बात की। कप्तान अभिषेक अग्रवाल बात कर ही रहे थे कि महिला उनके कक्ष से बाहर निकली और जहर जैसा कोई पदार्थ खा लिया। इसके बाद कार्यालय में हडक़ंप मच गया। एएसपी नवीन कुमार सिंह और सीओ सिटी अमित सिंह ने महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने उसकी हालत को स्थिर व खतरे से बाहर बताया है। महिला का दबाव काम आया। मामला दर्ज हुआ और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना से एक बात साफ हो गई कि पुलिस पर दबाव बनाने के नई फार्मूले अमल में लाए जाने लगे हैं। रायबरेली पुलिस के लिए यह घटना सबक के तौर पर दर्ज रहेगी। झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों पर जांच के बाद यदि पुलिस कानूनी धाराओं का प्रयोग कर कार्यवाही करे तो ऐसे मामलों में कमी आ सकती है।
महिला को आरोपी के दुश्मन का संरक्षण
रायबरेली। महिला के जहर खाने से मचे हडक़ंप के मामले में एक ऐसा शख्स भी प्रकाश में आया है जिसका जमीनी विवाद आरोपी रामू से है। महिला को लगातार इसी के दौरान प्राश्रय दिया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जहर खाने के लिए इस महिला को उकसाने का भी काम इसी व्यक्ति का बताया जा रहा है। फिलहाल यह व्यक्ति अपने मंसूबों में सफल हो गया है।
पुलिस की अनसुनी पर कोर्ट जा सकती थी महिला
रायबरेली। पूरे प्रकरण में महिला की कहानी और आरोपों में शुरू से ही झोल नजर आ रहा है। अगर पुलिस ने महिला की नहीं सुनी थी तो महिला 156 (3) के तहत मुकदमा दर्ज कराने के लिए माननीय न्यायालय की शरण ले सकती थीं। यहां उसकी सुनवाई भी सहजता से होती और मुकदमा भी दर्ज हो जाता। मगर महिला पुलिस पर ही मुकदमा दर्ज करने का दबाव बना रही थी। जानकारों की माने तो मामलों को उछालने के लिए आत्महत्या की धमकी, आत्मदाह की चेतावनी और ऐसी हरकतें प्रयोग में लाई जा रही हैं, जिससे शासन प्रशासन की नजरों में घटना आ जाए।
एसपी और इंस्पेक्टर पर निशाना
रायबरेली। इस पूरे मामले के पीछे एक बड़ी साजिश छन कर सामने आ रही है। लालगंज कोतवाल शिवशंकर सिंह की कार्यशैली से चिढ़े तमाम लोग इस मामले को हवा देने में जुटे हुए हैं। उधर पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल के कार्य व व्यवहार से असंतुष्ट चल रहे लोगों ने भी प्रकरण को बड़ा बनाने की पूरी कोशिश की। एक तीर से कई निशाने लगाने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि एसपी कार्यालय में इस तरह की घटना को साधारण या छोटा नहीं कहा जा सकता। मगर केवल अपनी बात मनवाने के लिए इस तरह का कदम उठाया जाना शर्मनाक हैं।